अक्सर यह देखा गया है कि छोटी उम्र के बच्चों का मन बहलाने के लिए माँ-बाप उन्हें स्मार्टफोन* खेलने के लिए दे देते हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा ही है तो सतर्क हो जाइए क्योंकि ऐसा करना आपके बच्चे की सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है. रिसर्च से भी इस बात की पुष्टि हुई है कि बच्चों को स्मार्टफोन का अधिक उपयोग करने देना उतना ही खतरनाक है जितना ड्रग्स जैसी नशीली चीजों का सेवन करवाना.
बच्चों पर स्मार्टफोन के हानिकारक प्रभाव
कैंसर का खतरा – बच्चों की त्वचा, हड्डियाँ, खोपड़ी की हड्डी, टिश्यू आदि कोमल(soft) होते हैं इसलिये मोबाइल से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी बच्चों में व्यस्कों की अपेक्षा 60 प्रतिशत अधिक असर करती है. ऐसे में उनका तेजी विकसित हो रहा स्नायु तंत्र (nervous system) कैंसर पैदा करने वाले कारकों के लिए उपयुक्त माहौल बना देता है.
दिमागी क्षमता – वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि केवल दो मिनट मोबाइल फोन पर बात करने से बच्चे के दिमाग की फैसला लेने की क्षमता एक घंटे तक सुस्त पड़ जाती है. मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगें केवल कान के पास ही नहीं बल्कि दिमाग के अंदरूनी हिस्से तक असर करती है. दिमाग की यह गड़बड़ बच्चे की सुनने की क्षमता के साथ-२ बच्चे के व्यवहार में असामान्य बदलाव कर सकती है. इससे बच्चे की सीखने की क्षमता प्रभावित होती है.
अन्य बीमारियाँ – स्मार्टफोन से निकलने वाली हानिकारक किरणें छोटे बच्चों में सिरदर्द और अन्य दूसरे प्रकार की दिमागी परेशानीयों के लिए जिम्मेदार हैं. स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों में अनिद्रा की समस्या पैदा होती है.
शारीरिक विकास में बाधा – रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि फोन का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों का शारीरिक गतिविधियों (physical activities) में कम ध्यान रहता है जिसके कारण उनका शारीरिक विकास पूरी तरह नहीं हो होता है. इसके कारण बच्चों में मोटापे की समस्या भी हो सकती है.
डिप्रेशन और पढाई में पिछड़ना – रिसर्च में पाया गया कि जो बच्चे स्मार्टफोन के साथ खेलते हैं वो अपने माँ-बाप, परिवार वालों से या अपने रिश्तेदारों के साथ बहुत ही कम बात करते हैं या कम समय बिताते हैं. इससे उनमें सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान की कमी रह जाती और आगे चल कर वे अकेलेपन और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं. फोन पर अधिक टाइम बिताने के कारण वे पढाई में भी पिछड़ जाते हैं.
आंखों पर कुप्रभाव – स्मार्टफोन की रंगीन और अधिकरोशनी वाली स्क्रीन बच्चों की आंखों पर काफी बुरा प्रभाव डालती है. इसके चलते भविष्य में उन्हें आँखों से संबधित गंभीर बीमारियों, यहाँ तक कि अंधेपन का शिकार भी होना पड़ सकता है.
मोबाइल फोन का वैसे तो आम व्यक्ति पर भी ठीक वैसा ही प्रभाव पड़ता है जैसा एक बच्चे पर पड़ता है, लेकिन बच्चों में यह प्रभाव एक व्यस्क व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा असरदार और नुकसानदायक होता है. इसलिए सभी स्मार्टफोन यूजर्स से निवेदन है कि स्मार्टफ़ोन का कम उपयोग करें और बच्चों को भी इससे दूर रखें. आगे पढ़ें कि मोबाइल से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी से हम कैसे बच सकते हैं.
* यह जानकारी स्मार्टफोन और मोबाइल फोन दोनों तरह के फोंस पर समान रूप से लागू होती है.
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