2015 तक 10 सर्वश्रेष्ठ पंजाबी कॉमेडी फिल्में!

पंजाबी सिनेमा, कॉमेडी फिल्में बनाने के लिए मशहूर है. पंजाबी फिल्मों में हसीं मजाक न हो ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. पंजाबी कॉमेडी फिल्में हमेशा ही

क्या सोशल मीडिया हमें बीमार बना रहा है?

क्या सोशल मीडिया साइटस जैसे फेसबुक, ट्विटर और अन्य किसी न किसी रूप में हमें नशे की लत की तरह आदी बना रही हैं? क्या ये स्वास्थ्य की दृष्टि से और भी गंभीर, शारीरिक और मानसिक व्याधियां पैदा कर रही हैं. सोशल नेटवर्किंग हालांकि, दुनिया भर में नए और पुराने दोस्तों को खोजने में योगदान कर तो रही हैं, लेकिन, हमारे सामाजिक कौशल की कीमत पर. यहाँ हम चर्चा करेंगे कि सामाजिक संबंधों के सन्दर्भ में सोशल मीडिया साइटस कैसे हमें प्रभावित कर रही हैं.

सोशल मीडिया एक तरह की लत है.

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अध्ययन में पाया गया है कि अमेरिका के 63% लोग फेसबुक को लोग-इन करते हैं और 40% अमेरिकी दिन में दो बार फेसबुक को खोलते हैं. इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन सबसे साधारण कारण यही होता है कि वह सिर्फ इसीलिए फेसबुक खोलते हैं कि उनकी फोटो पर कितने लाइक और कमेंट किये गये. जो अपने आप में एक उभा देने वाली बात है. भारत में 143 मिलियन लोग सोशल मीडिया प्रयोग करते हैं और यह संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है.

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सोशल मीडिया हमें दूसरों से तुलना करने में विवश कर देता है.

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सोशल मीडिया पर की गई पोस्टें हमें बता देती हैं कि इस समय दूसरे लोग क्या कर रहे हैं. हमें पता चल जाता है कि चीजें कैसे काम कर रही हैं. अगर सभी लोगों की पोस्ट सोशल मीडिया पर अच्छी आ रही हैं और आपका दिन बहुत बुरा गुजरा है तो यह आप पर नेगेटिव सोशल मीडिया आपके ऊपर बुरा असर डाल सकता है.

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सोशल मीडिया हमें बेचैन करता है

Social-media-makes-us-restlessजैसे कि हम ऊपर बता चुके हैं कि ज्यादातर लोगों का मानना है कि बिना सोशल मीडिया के हमसे आराम नहीं होता. जिससे उनको एक तरह की बेचैनी सी होने लगती है और लोगों को कभी कभी गुस्सा भी आ जाता है. उनको लगता है कि सोशल मीडिया पर आने से थकान दूर हो जाती है.

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सोशल मीडिया साइबर हमले को भी जन्म देता है

Computer-stressसाइबर हमला विशेष तौर पर किशोरों के लिए एक बहुत बड़ा चिंता का विषय है. एक संगठन ने अपने अध्ययन में पाया है कि 95% किशोर जो हर रोज सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं को किसी न किसी साइबर धमकी का सामना करना पड़ता है और 33% किशोर साइबर हमले का शिकार भी हो चुके हैं.

सोशल मीडिया नशों और शराब को प्रोत्साहित करती हैं

 

top-10-social-media-addiction-facts-social-media-addictionएक अध्ययन में पाया गया है कि 12 से 17 वर्ष की आयु के किशोर जो हर रोज सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं इन बच्चों में 70% बच्चों में तम्बाकू सेवन करने की इच्छा कई गुना ज्यादा होती है और शराब पीने की इच्छा में तीन गुना की बढोतरी होती है. इनमें मारिजुआना या चरस का नशा करने में 2 गुना की बढ़ोतरी होती है.

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सोशल मीडिया हमें उदास कर सकता है

social-media-can-upset-usमिशिगन विश्वविद्यालय की टीम ने अध्ययन किया है किस तरह सोशल मीडिया लोगों की मनोदशा पर प्रभाव डालता है. नतीजों में पाया गया कि जितना लोग सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल करेंगे उतना वह अधिक उदास रहने लगेंगे. लम्बे समय तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल से वह अपनी जिन्दगी से संतुष्ट नही हो पाएंगे.

सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल पर आप अपने आपको बेकार समझने लगेंगे

excessive-use-of-social-mediaइसका अर्थ यह है कि सोशल मीडिया पर आपके चहेते अपने बारे में, उन्होंने कितने मजे किये और वो क्या-2 कर रहे हैं, को बार-2 डालते हैं जिससे आपकी कंडीशन फोमो जैसी हो जाएगी. आपको ऐसा लगने लगेगा कि आपके चहेते आपके बिना बहुत अच्छी जिंदगी बिता रहे हैं और आप अपने आप को बेकार समझने लगेंगे.

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सोशल मीडिया आपको अक्सर मल्टीटास्किंग की ओर ले जाता है

multitaskingसोशल मीडिया आपको कई बार मल्टीटास्किंग करने को विवश कर देता है. जैसे कि पहले आप फेसबुक का पेज खोलोगे फिर बाद में आप उसके साथ अपना कोई काम का जरूरी पेज खोलोगे. तो एक समय में आप कभी फेसबुक को खोलोगे और दूसरे समय में आप अपने काम करने का पेज जिससे आप अपना फोकस किसी एक पेज पर नही रख पाओगे.

सोशल मीडिया हमारी कनेक्टिविटी को बढ़ा देता है

social-media-boosts-our-connectivityसोशल मीडिया हमें अपनी असली दुनिया में नहीं आने देता. सोशल मीडिया रिश्तों को पुनर्जीवित और संभाल के रखने में हमें सहायता करता है. ब्रिटिश साइकोलॉजी सोसाइटी ने एक अध्ययन में पाया है कि कम आत्म-सम्मान वाले लोग, सोशल मीडिया का इस्तेमाल रिश्तों को बनाने में करते हैं.

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सोशल मीडिया सामाजिकरण में मदद कर सकता है

social-media-can-help-in-the-socializationएक अध्ययन में पाया गया है कि शर्माने वाले लोग कंप्यूटर की स्क्रीन के पीछे बैठकर अपनी सोशल जिन्दगी जीते हैं. इस अध्ययन में एक अच्छी बात भी पाई गई है कि जो लोग मीडिया का सहारा लेते हैं वो दूसरों से हमदर्दी भी सोशल मीडिया पर अच्छी तरह से दिखा सकते हैं.

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‘ब्रेग्जिट’ क्या है और भारत के लिए क्या हैं इसके मायने?

BREXIT-india-impact-euब्रिटेन में ऐतिहासिक जनमत संग्रह में यूरोपियन यूनियन से अलग होने वाले ब्रेग्जिट (Britain Exit) के पक्ष में वोट दिया है। ई.यू. से ब्रिटेन के इस ‘तलाक’ की प्रक्रिया में कम से कम 2 वर्ष लगेंगे और इससे वैश्विक वित्तीय केंद्र लंदन के भविष्य पर अटकलें लगने लगी हैं। जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। वह ब्रिटेन के ई.यू. में बने रहने के पक्ष में थे।

मतदाता 4,65,01,241
मतदान प्रतिशत 72.2%
अलग होने के पक्ष में वोट 51.9% (1,74,10,742)
बने रहने के पक्ष में वोट 48.1% (1,61,41,241)

क्या होगा भारत पर असर

  • फिलहाल ज्यादातर कच्चे तेल की खरीदारी पेट्रो डॉलर में ही की जाती है. डॉलर का दाम बढ़ने से भारत के लिए भी कच्चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा और इसका असर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने के रूप में भी दिखाई देगा.
  • पौंड के गिरने से डॉलर की मांग बढ़ेगी. इससे आयातित जरूरी चीजों के दामों पर असर पड़ेगा. साथ ही डॉलर का मूल्य बढ़ने से आयात महंगा होगा. डॉलर महंगा होने से विदेश से खरीदा जाने वाला सोना, इलेक्ट्रॉनिक गुडस भी महंगे हो सकते हैं.
  • यूरो के जरिए कारोबार कर रही सैंकड़ों कंपनियों के लिए यह घाटे का सौदा है. अब उन्हें महंगे डॉलर पर निर्भर होना होगा.
  • ब्रिटेन के अलग होने के बाद अब दूसरे देश भी ईयू से अलग होने के लिए कोशिश कर सकते हैं. उन देशों में काम कर रही भारतीय कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा.
  • अब यूरोपियन यूनियन से कारोबारी रिश्ते रखने वाले देशों पर बुरा असर पड़ेगा. बता दें कि भारत के लिए यूरोपियन यूनियन सबसे बड़ी एक्सपोर्ट मार्केट है.
  • भारतीय आईटी सेक्टर की 16 से 18 प्रतिशत कमाई ब्रिटेन से ही होती है. ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे. इससे कंपनियों का खर्च बढ़ेगा.
  • ब्रिटेन के यूरोप से अलग होने पर दुनियाभर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता का माहौल रहेगा इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ेगा.
  • ई.यू. से अलग होने के बाद भारत ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय व्यापार खुलकर कर पाएगा. इससे भारत और ब्रिटेन दोनों को फायदा होगा. हालाँकि ब्रिटेन में काम कर रही 800 कंपनियों को नुकसान हो सकता है.
  • करंसी
    • भारत से होने वाले बिजनेस पर खतरा है.
    • यूरो-पौंड में गिरावट थामे हुए एक्सपोर्ट बिजनेस में भारत को झटका दे सकती है.
    • टाटा की जगुआर-लैंडरोवर का वार्षिक मुनाफा एक दशक में 10 हजार करोड़ तक गिर सकता है.
  • निवेश
    •  भारतीय कंपनियों के कैपिटल इनवेस्टमेंट पर असर पड़ेगा.
    • ब्रिटेन में प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है.

 ई.यू. ने क्या कहा

  • यूरोपियन यूनियन ने ब्रिटेन से जल्द से जल्द अलग होने को कहा है.
  • हम चाहते हैं कि ब्रिटेन जनता के फैसले को जल्द से जल्द लागू करें. किसी भी तरह की देरी से अनिश्चितता जाहिर होगी. यह बयान ई.यू. अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क, ई.यू. कमीशन चीफ जीन क्लाउड जंकर, ई.यू. पार्लियामेंट लीडर मार्टिन शुल्ज़ और डच प्रीमियर मार्क रूट ने जारी किया

प्रवासियों के सामने आएगा संकट?

ब्रिटेन के ई.यू. से हटने के बाद प्रवासी अपने बच्चों के लिए सरकार से लाभ की मांग नहीं कर पाएंगे. अपराधियों को उनके देश वापिस भेजा जाएगा. ई.यू. का सदस्य बनने वाले नए देशों के लोगों को ब्रिटेन में तुरंत प्रवेश नहीं मिल पाएगा. ब्रेग्जिट का समर्थन कर रहे लोगों का मानना है कि ई.यू. अलग हो जाने पर ब्रिटेन में प्रवासी संकट पर अंकुश लगाया जा सकेगा. आपको बता दें कि इस वक्त ब्रिटेन में हर रोज 500 प्रवासी दाखिल होते हैं और पूर्वी यूरोप के करीब २० लाख लोग इस वक्त ब्रिटेन में रह रहे हैं

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रेग्जिट से  एक पैंडोरा बॉक्स खुल सकता है यानि ब्रिटेन की देखादेखी दूसरे देश भी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं. वैसे ब्रिटेन ई.यू. के साथ समझौते की कोशिश भी कर सकता है जिसके तहत उसको कुछ विशेष अधिकार दिए जा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो प्रवासियों को ब्रिटेन में आने के 4 साल बाद ही सरकार से मिलने वाले लाभ मिल पाएंगे.

ब्रिटेन को क्या नुकसान होगा?

ब्रेग्जिट का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इससे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा. एक अनुमान के मुताबिक ब्रेग्जिट से अलग होने पर 2.5 लाख ब्रिटिश नागरिकों की नौकरियां जा सकती हैं

क्या है यूरोपियन यूनियन?

यूरोप एक महाद्वीप है जिसमें 51 देश है. इनमें से ब्रिटेन समेत 28 देशों ने यूरोपियन यूनियन बनाया. यह 1993 में बना था. यूनियन के 19 देशों की एक अलग करेंसी यूरो बनाई गई. इनकी इमीग्रेशन पालिसी भी एक जैसी तय हुई. डिफेंस इकॉनमी और फॉरेन पॉलिसी पर भी एक राय में फैसले लिए जाने लगे. एक वीजा से पूरे यूरोपियन यूनियन में एंट्री हो सकती है.

ई.यू. के साथ जाना चाहते थे ब्रिटेन के सिख

ब्रिटेन में जनमत संग्रह एक बड़ा मुद्दा था कि क्या ब्रिटेन यूरोपियन संघ में रहने के लिए मतदान करेगा या इससे बाहर होने के लिए. सिख प्रवासी समुदाय इस बारे में क्या सोचता है इसे लेकर भी एक ऑनलाइन सर्वे करवाया गया. ब्रिटेन में रहने वाले सिखों में करीब 60% ने ई.यू. साथ रहने की इच्छा जाहिर की थी.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: चंडीगढ़ में पीएम मोदी करेंगे योग

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : कल यानि 21 जून को होने वाले योग दिवस की तैयारियां चंडीगढ़ में दो दिन पहले ही जोर शोर से चल रही हैं. दूसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का क्रेज भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर चंडीगढ़ में होने वाले कार्यक्रम में हज़ारों लोगों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे. हरियाणा और पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन 21 जून को चंडीगढ़ में संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मेजबानी करेंगे.
yoga-day-celebrations-modiचंडीगढ़ में कल होने वाले योग समोराह में हिस्सा लेने के लिए दिव्यांगों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इसमें से करीब 150 दिव्यांग समारोह में भाग लेंगे. प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिऐ पूरा चंडीगढ़ तैयार हो गया है.

योग आसन प्रोटोकॉल: कल होने वाले इस ईवेंट के लिए मिनिस्टरी ऑफ आयुष ने कॉमन योग आसन प्रोटोकॉल प्रशासन को भेज दिया है कल होने वाले आसनों में प्रार्थना, ताड़ आसन, पदमहस्त आसन, अर्धचक्र आसन, त्रिकोण आसन, वज्र आसन, भद्र आसन, शीर्ष आसन, पवनमुक्त और शवासन. इसके बाद कपाल भाती, प्राणायाम, नाडी शोधन और अनुलोम विलोम होगें. इस मेगा ईवेंट की शुरुआत प्रार्थना के साथ होगी. मोदी चंडीगढ़ में करीब 11 आसन करेंगे. पहला आसन ताड़ आसन होगा, जबकि सबसे आखिर में अनुलोम-विलोम.

बाहुबली-2 के क्लाइमेक्स की शूटिंग हैदराबाद में शुरू

बाहुबली-2 फिल्म : ‘बाहुबली’ फिल्म के प्रशंसक यह सुनकर खुश हो जाएगें कि बाहुबली फिल्म के निर्माता एसएस राजामौली ने सोमबार को फिल्म के क्लाइमेक्स का फिल्मांकन शुरू कर दिया है. हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी में यह शूटिंग 10 सप्ताह से भी कम समय में समाप्त हो जाएगी. यह फिल्म 2015 में एसएस राजामौली की फिल्म बाहुबली फिल्म का बहुप्रतीक्षित दूसरा भाग है.
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कई महीनों की पूर्व योजना और अभ्यास के बाद टीम ने बाहुबली फिल्म के क्लाइमेक्स का फिल्मांकन शुरू कर दिया है. फिल्म के अंतिम चरण में एक महाकाव्य युद्ध का शॉट अगस्त में फिल्माया जाएगा. अभिनेता प्रभास फिल्म के इस भाग के लिए कई महीनों से कड़ा प्रशिक्षण कर रहे है. ली व्हित्तकर (whittaker) एक एक्शन निर्देशक है. जिन्होंने लिंगा और बाहुबली फिल्म का निर्देशन किया हैं. वे अब बाहुबली 2 फिल्म का निर्देशन कर रहे है.

लेनेल्ल स्टोवल्ल जिन्होंने ‘द हंगर गेम्स‘ और सलमान खान की ‘सुल्तान‘ फिल्म में काम किया है वे भी इस फिल्म का हिस्सा है. मोर्ने वान तोंदर जो हॉलीवुड़ फिल्म ‘हॉबिट‘ शृंखला के प्रतिभागी है वो फिल्म के अंतिम भाग में स्टंट रिगर का काम करेगें.

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इस फिल्म में भी राणा दग्गुबाती, तमन्ना भाटिया और अनुष्का शेट्टी जैसे सितारें मौजूदा है यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा तो आप इस फिल्म को 18 अप्रैल, 2017 को स्क्रीन पर देख सकते हैं.

सेंसर बोर्ड का काम सर्टिफिकेट देना है ना फिल्म को सेंसर करना: कोर्ट

अनुराग कश्यप की फिल्म उड़ता पंजाब पर सेंसरशिप को लेकर बॉन्बे हाईकोर्ट ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन के रुख पर हैरानी जताते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड का काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देना है ना की फिल्म को सेंसर करना. कोर्ट ने कहा कि दर्शकों की अपनी चॉइस है और उन्हें फिल्म देखकर खुद तय करने देना चाहिए. मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी, इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.Udta-Punjab-kareena-kapoor

फिल्म में कुछ अश्लील दृश्यों को आपत्तिजनक बताने पर कोर्ट ने कहा, “आप क्यों परेशान हैं? मल्टीप्लेक्स के दर्शक काफी परिपक्व हैं, फिल्में सिर्फ ऐसे कंटेंट से नहीं चलती, उनमें एक कहानी होनी चाहिए. चाहे यह टीवी हो या सिनेमा, लोगों को इसे देखने दीजिए सबकी अपनी चॉइस है सेंसर बोर्ड का काम सर्टिफिकेट देना है.”

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शुक्रवार को हाईकोर्ट में सेंसर बोर्ड और फिल्में करने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा. सेंसर बोर्ड के वकील ने कोर्ट से कहा की फिल्म “उड़ता पंजाब” में इस्तेमाल किए गए शब्द बेहद आपत्तिजनक हैं. “उड़ता पंजाब” का डायलॉग “जमीन बंजर तो औलाद कंजर” तो कुछ ज्यादा ही आपत्तिजनक है. जिस तरह से कंजर शब्द का इस्तेमाल किया गया उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. बंजर शब्द पंजाब को गलत तरीके से पेश करता है जबकि पंजाब एक उपजाऊ राज्य है. फिल्म से बंजर शब्द को रिप्लेस किया जा सकता है. सेंसर बोर्ड के पक्ष के वकील ने कहा हमें फिल्म से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कंजर और बाकी दूसरे शब्द फिल्म में फिट नहीं होते.

shahid-kapoor-kareena-kapoor-khan-udta-punjab-trailer-launchदूसरी तरफ फिल्ममेकर्स के वकील ने कोर्ट में कहा कि फिल्म में मनमाने तरीके से कट लगाए गए हैं. फिल्म मेकर्स के पक्ष के वकील ने दलील दी की फिल्म में “चिता वे” शब्द पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति दर्ज करवाई है. जबकि इसी शब्द के साथ फिल्म का ट्रेलर पास कर दिया गया था. वकील ने कई फिल्मों डेल्ही बैली, बैंडिट क्वीन, और गैंग्स ऑफ वासेपुर के भी पास होने का उदाहरण दिया. फिल्म में कुछ अश्लील दृश्यों को आपत्तिजनक बताने पर कोर्ट ने कहा आप क्यों परेशान हैं? इस तरह की चीजों से फिल्म को बेवजह की पब्लिसिटी मिल रही है.

क्या है विवाद?

फिल्म पंजाब में मादक पदार्थ की समस्या पर आधारित है. पंजाब में सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी  गठबंधन के अनुसार यह उनकी सरकार को बदनाम करने का प्रयास है. गौरतलब है कि पिछले 9 सालों से यह गठबंधन सत्ता पर काबिज है जिसमें शिअद अहम है. शिअद के मुखिया बादल परिवार के करीबी विक्रम मजीठिया पर नशे के कारोबार में कथित तौर पर भागीदारी के आरोप लगते रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ गठबंधन का मानना है कि इस फिल्म के निर्माण में आप(आम आदमी पार्टी) का पैसा लगा है और इसे वह आने वाले चुनावों में आपकी राजनीतिक पैंतरेबाजी के रूप में देखते हैं.  इसके अलावा फिल्म में कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा और अश्लील शब्दों तथा गालियों का प्रयोग किया गया है.

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उड़ता पंजाब दर्शकों को संदेश देगी: करीना कपूर

उड़ता पंजाब दर्शकों को संदेश देगी: करीना कपूर

अभिनेत्री करीना कपूर का कहना है कि उनकी आने वाली फिल्म उड़ता पंजाब में जो संदेश दिया गया है वह असर डालेगा. अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म उड़ता पंजाब में करीना कपूर के अलावा शाहिद कपूर आलिया भट्ट और दिलजीत दोसांझ ने मुख्य भूमिका निभाई है.Udta-Punjab-kareena-kapoor

यह फिल्म पंजाब में मादक पदार्थ की समस्या पर आधारित है फिल्म के निर्माता सेंसर बोर्ड के खिलाफ कोर्ट केस लड़ रहे हैं जिसने फिल्म में इस्तेमाल किए गए विभिन्न शब्द और भाषा को लेकर कई आपत्तियां जताई हैं.

करीना कपूर से जब सेंसरशिप मुद्दे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहां की उन्हें फिल्म पर पूरा विश्वास है. अभिषेक चौबे पर पूरा यकीन है और अपने प्रशंसकों पर पूरा भरोसा है.  फिल्म में बड़े स्टार हैं और सब के बहुत सारे प्रशंसक हैं.

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बिल्लियों की इन शरारतों को देखकर आप लोटपोट हो जायेंगे!

बिल्ली एक बहुत ही प्यारा पालतू जानवर है. बिल्लियों की शरारतें उनकी ही तरह प्यारी और मजेदार होती हैं. बिल्लियों की कुछ बहुत ही मजेदार फनी वीडियोज जिन्हें देखकर आप हंसी से लोट-पोट हो जाएंगे.

https://youtu.be/VJHnPUFffCU

अब आईफोन चलेगा एंड्रॉयड पर!

निक ली ने अप्रैल के अंत में यूट्यूब पर एक वीड़ियो अपलोड किया था जिसमें उन्होंने एप्पल वॉच को विंडोज़ 95 पर चलते हुए दिखाया था। अब निक ली एक बार फिर सुर्ख़ियो में हैं। इस बार ली ने एक ऐसा केस मोबाइल कवर बनाया है जिससे iOS डिवाइस एंड्राइड ओएस की तरह कम करने लगेगा। हालाँकि अगर किसी के पास आइफ़ोन है तो वह शायद ही चाहेगा कि उसका फ़ोन एंड्रोयड ऑपरेटिंग सिस्टम में बदल जाए लेकिन अगर आप ऐसा करना चाहते हैं तो निक ली का यह केस आपकी मदद कर सकता है।

लाइटनिंग पार्ट से अटैच करने पर करता है काम

ली ने इस केस में एक कॉर्ड लगाई है जिसे iphone के लाइटनिंग पार्ट के साथ अटैच करते ही iphone का पूरा इंटरफेस Android में बदल जाता है।

Android फोन से अटैच होने के बाद google play सर्विस, wifi, google अकाउंट फीचर को काम में लाया जा सकता है।

एटैच करने पर iphone एक कंट्रोल डिवाइस के रूप में काम करता है जिसकी स्क्रीन पर Android का इंटरफेस दिखाई देता है हालांकि इसकी प्रोसेसिंग को हैंडल करने के लिए इसमें अलग से कंपोनेंट्स लगे हैं।

इस कवर को बनाने में लगे 45 घंटे

मोबाइल गवर्निंग फार्म के चीफ टेक्नोलॉजी अफसर ली ने इस केस को बनाने के लिए लगभग 47 घंटे लगाए हैं और इसके लिए उन्होंने तकनीकी बाधाओं को भी रोका जो iphone में थर्ड पार्टी कोड चलने नहीं देती। इस केस को बनाने के लिए खास तौर पर भाषा में दिखने वाली गाइडलाइंस में भी फेरबदल किया है जो ऐप्स को इंस्टॉल करने और कोड प्रोग्राम को चलाने से रोकती है।

फ़िलहाल उपलब्ध नहीं

यह कवर मोटा और बड़ा है तथा यह आम इस्तेमाल के लिए उपलब्ध नहीं है। लेकिन फिर भी यह केस इस बात का सबूत है कि iphone में भी android को चलाया जा सकता है।

अभी इस केस को खरीदा नहीं जा सकता लेकिन ली का कहना है कि अगर लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई तो वह इस केस का एक कंज्यूमर वर्जन बना सकते हैं जोकि अधिक पतला और सुविधाजनक होगा।

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मोहम्मद अली के जीवन से जुड़े अनजाने तथ्य!

दुनिया के सबसे महानतम खिलाड़ियों में शुमार बॉक्सर मोहम्मद अली (जन्म का नाम कैसिअश क्ले) का निधन 3 जून 2016 को फीनिक्स, एरिज़ोना, अमेरिका के एक अस्पताल में हो गया. मोहम्मद अली 32 साल से सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे थे. उन्हें बीबीसी और स्पोर्ट्स इलेस्ट्रेडेट ने पिछली ‘सदी का सबसे महानतम खिलाड़ी’ चुना था.

जानिए, महानतम मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में खास बातें जो आप जानना चाहते थे!

मोहम्मद अली सन 1964 में महज़ 22 वर्ष की उम्र में सोनी लिस्टन को हराकर पहली बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बने. इससे पहले वह 1960 के रोम ओलिंपिक में गोल्ड मैडल जीत चुके थे. कुछ समय बाद रंगभेद से नाराज होकर उन्होंने इस्लाम धर्म को अपना लिया और मोहम्मद अली के नाम से मशहूर हुए. वह तीन बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन रहे.

आइए जानें महान बॉक्सर मोहम्मद अली से जुड़ी 10 अनजानी बातें.

साइकिल चोरी की वजह से की मुक्केबाजी की शुरूआत

muhammad-Aliअली जब 12 साल के थे तो उनके पिता ने उन्हें लाल रंग की साइकिल लाकर दी जो कि साइकिल चोरी हो गयी. उन्होनें Louisville, Kentucky के पुलिस अधिकारी जो मार्टिन को चोरी की सूचना दी और चोर को पीटने की ठान ली. मार्टिन जो कि एक मुक्केबाजी प्रशिक्षक थे, ने युवा अली को कहा कि उसे पहले यह सीखना चाहिए कि लड़ा कैसे जाता है. बस यहीं से ट्रेनिंग कि शुरुआत हुई और छह हफ्ते बाद ही उन्होनें अपनी पहली ‘बाउट’ में जीत हासिल की.

मूल नाम एक दासप्रथा-विरोधी समाज-सुधारक के नाम पर

मोहम्मद अली का मूल नाम कैशियस क्ले जूनियर था. अपने पिता की तरह उनका नाम भी एक 19वीं सदी के समाज सुधारक,  सेनानायक और राजनीतिज्ञ कैसियस मार्सेलस क्ले के नाम पर था जो कि जन्म से किसान थे. उन्होंने अपने पिता से विरासत में मिलें 40 गुलामों को आजाद कर दिया था. वे केंटुकी के सीनेटर हेनरी क्ले के चचेरे भाई थे और एक दास-प्रथा विरोधी अखबार के सम्पादक थे. वे  मैक्सिकन-अमेरिकी युद्ध में कमांडर रहे और राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के कार्यकाल में रूसी मामलों के मंत्री रहे।

मोहम्मद अली नाम रखने से पहले उन्होंने अपना नाम “कैशियस एक्स” रखा था

लिस्टन को हराने के बाद वह नये हेवीवेट चैंपियन बनें औए उसके बाद मोहम्मद अली ने इस्लाम धर्म को अपनाया. मोहम्मद अली ने इस बात की पुष्टि की थी कि जब तक उन्हें नया नाम नही मिल जाता तब तब वह कैसियस एक्स और “दास के नाम” से जाने जायेंगे. 6 मार्च 1964 को इस्लामी नेता अलीजाह मोहम्मद ने उन्हें मोहम्मद अली नाम दिया.

तीन साल के लिए मुक्केबाजी से प्रतिबंध

1967 में वियतनाम युद्ध के दौरान मोहम्मद अली ने धार्मिक कारणों की वजह से अमेरिकी सेना में सेवा करने का ऑफर ठुकरा दिया जिसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ी. न्यूयॉर्क स्टेट एथलेटिक कमीशन ने उनका बॉक्सिंग लाइसेन्स रद्द कर दिया. मोहम्मद अली को पांच साल की जेल और दस हजार डॉलर के जुर्माने की सजा सुनाई गयी थी। 1971 में उनकी अपील पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन हटाया. इस बैन की वजह से अली को अपने करियर के लगभग चार साल गंवाने पड़े.

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मोहम्मद अली गायक और कवि भी थे

43 महीने तक रिंग से दूर रहने को मजबूर अली ने एक्टिंग और गायकी का रुख किया. अली का स्टेज करियर छोटा रहा परन्तु उसके वावजूद अली की काफी सराहना की गई. सॉनी लिस्टन को हराकर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन बनने से महज छह महीने पहले उन्होंने अपना ऐल्बम ‘आई एम द ग्रेटेस्ट’ रिलीज किया था.

खुद पर पत्थर फिंकवाकर करते थे प्रैक्टिस

मोहम्मद अली का प्रैक्टिस करने का तरीका बहुत ही निराला और सबसे अलग था. वह अपने भाई को खुद पर पत्थर फेंकने के लिए कहते थे और उन पत्थरों से खुद को बचाकर प्रैक्टिस करते थे. उनके छोटे भाई रूडी ने बाद में कहा था, ‘इससे फर्क नहीं पड़ता कि मैंने कितने पत्थर फेंके लेकिन मेरे द्वारा फेंके पत्थर कभी उन्हें छू भी नहीं पाए.’

अली का परिवार आयरलैंड मूल का था

मोहम्मद अली के पड़नाना एबे ग्रैडी 1860 में आयरलैंड से अमेरिका आए थे और केंटकी में बस गए थे। वहां उन्होंने छोड़ी गयी एक गुलाम (free slave) महिला से शादी की। उनकी पोतियों में से एक पोती मोहम्मद अली की मां ओडेसा ली ग्राडी क्ले थीं. 2009 में मोहम्मद अली अपने पड़नाना के शहर एन्निस, आयरलैंड गए और ओ’ग्रेडी खानदान के सदस्यों से मिले.

सबसे प्रसिद्ध मुकाबला सुबह 4 बजे खेला गया था

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1974 में 32 वर्षीय अली ने 25 वर्षीय अपराजित चैंपियन जॉर्ज फोरमैन को हरा कर ख़िताब अपने नाम किया था. जायरे के तानाशाही राष्ट्रपति मोबूतू ने दोनों मुक्केबाजों को इस मुक़ाबले के लिए 5-5 मीलियन डॉलर्स दिये थे. अमेरिका में सभी बॉक्सिंग फैन इस फाइट को देख पायें इसलिए इसे अफ्रीका के हिसाब से सुबह 4 बजे रखा गया था. मोहम्मद अली ने “Rumble in the Jungle” नाम से मशहूर यह मुक़ाबला 8 राउंड के बाद नॉकआउट से जीता जो कि उन्होंने सात साल के बाद वापिस पाया था.

ओलंपिक स्वर्ण पदक को ओहयो नदी में फ़ेक दिया

उच्च विद्यालय के स्नातक होने के बाद 18 वर्षीय अली ने रोम की यात्रा की और 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में लाइट हैवीवेट स्वर्ण पदक जीता. मोहम्मद अली ने 1975 में अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उन्होंने नस्लवाद के विरोध में अपना गोल्ड मेडल ओहयो नदी में फेंक दिया था। लकिन कुछ लोगों का मानना है कि अली ने अपना अपना मेडल खो दिया था. फिर बाद में हुए 1996 ओलंपिक उद्घाटन समारोह में खोये हुए मेडल की जगह उन्हें नया गोल्ड मेडल दिया गया था.

मोहम्मद अली की बेटी लैला अली भी है पेशेवर मुक्केबाज

अली की बेटी लैला अली भी बेहतर बॉक्सर रही हैं. मोहम्मद अली के नौ बच्चों में सबसे छोटी लैला अली ने 24 मुकाबले लड़े और सभी में जीत हासिल की. वह कभी न हारने वाली बॉक्सर के रूप में रिटायर हुईं. लैला अली, मोहम्मद अली की तीसरी पत्नी वेरोनिका पोर्श की बेटी हैं.muhammad-ali-daughter-laila-ali

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