Wednesday, April 17, 2024
35.3 C
Chandigarh

एक ऐसा मंदिर जो दिन में दो बार गायब हो जाता है जानिए क्या है रहस्य?

भारत के मंदिर दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। मंदिरों से जुड़ी पौराणिक कथाएं और मूर्तियों की बनावट भक्तों को आश्चर्यचकित कर देती है। कुछ मंदिर प्राचीन काल के किसी रहस्य के कारण जाने जाते हैं तो वहीं कुछ अपने चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं ।

गुजरात में ऐसा ही एक खास मंदिर अपने एक अनोखे चमत्कार के लिए काफी मशहूर है। आज हम आपको इस चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिन में दो बार लोगों की आँखों के सामने से गायब हो जाता है।

तो चलिए जानते हैं :-

वड़ोदरा, गुजरात से 75 किमी की दूरी पर “संभेश्वर महादेव मंदिर” है। यह खास मंदिर गुजरात के कावी- कंबोई गांव में स्थित है । यह गांव अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर है।

इस मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग का दर्शन दिन में केवल एक बार किया जा सकता है। यह मंदिर अरब सागर में कम्बे तट पर स्थित है।

यह मंदिर समुद्र तट के किनारे स्थित है, इसी वजह से जब भी समुद्र में ज्वार आता है तो यह मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है, जब ज्वार उतरता है तब यह मंदिर दोबारा से नजर आने लगता है। 

जब मंदिर पूरी तरह से उच्च ज्वार में बह जाता है, तो किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। यहां आने वाले सभी भक्तों को एक चिट्टी दी जाती है जिस पर समुद्र में आने का समय लिखा होता है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।

जब यहां पर ज्वार आता है तब उस समय के दौरान चारों तरफ पानी भर जाता है। ज्वार के समय यहां पर मौजूद शिवलिंग के दर्शन नहीं किए जा सकते हैं, जब ज्वार उतरता है तभी शिवलिंग के दर्शन होते हैं।

इस मंदिर का उल्लेख श्री महादेव पुराण में भी है। जो इस मंदिर की प्राचीनता का प्रमाण है। इसके अलावा, इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख स्कंद पुराण में भी है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ताड़कासुर नाम के एक राक्षस ने बहुत कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया। और अमरता का वरदान माँगा परन्तु भगवान शिव ने इस वरदान को देने से इनकार कर दिया।

फिर ताड़कासुर ने एक और वरदान मांगा जिसके अनुसार उस असुर को शिव पुत्र के अलावा कोई नहीं मार सकता था। हालांकि, उस शिव पुत्र की आयु भी सिर्फ छह दिन ही होनी चाहिए।

यह वरदान हासिल करने के बाद ताड़कासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। इससे परेशान होकर सभी देवता और ऋषि- मुनियों ने शिव जी से उसका वध करने की प्रार्थना की थी।

उनकी प्रार्थना स्वीकृत होने के बाद श्वेत पर्वत कुंड से 6 दिन के कार्तिकेय उत्पन्न हुए थे। कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध तो कर दिया, परन्तु जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शिव का भक्त था तो कार्तिकेय ने उसे मारने के लिए खुद को दोषी महसूस किया।

फिर उन्होंने भगवान विष्णु से प्रायश्चित करने का उपाय पूछा, इस पर भगवान विष्णु ने उन्हें एक शिवलिंग स्थापित करने का उपाय सुझाया था, और साथ ही रोज़ाना महादेव से माफी मांगनी को कहा।

इस तरह से उस जगह पर शिवलिंग की स्थापना हुई थी, और तब से इस स्थान को स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।स्तंभेश्वर महादेव में हर महाशिवरात्रि और अमावस्या पर खास मेला लगता है।

यह भी पढ़ें :- 

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR

RSS18
Follow by Email
Facebook0
X (Twitter)21
Pinterest
LinkedIn
Share
Instagram20
WhatsApp