Wednesday, March 27, 2024
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एक मरते हुए इंसान के 5 पछतावे! इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप न करें ये भूल!

कहावत है कि मरता हुआ इंसान कभी झूठ नहीं बोलता। ये शायद इसलिए भी सच है कि मरते हुए इंसान के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता क्योंकि उसको एहसास हो चुका होता है कि इस धरती पर ये इसका आखिरी पल है और इसके बाद वह किसी को अपने बारे में अच्छा बुरा कुछ भी नहीं बता पाएगा। यह पछतावे का पहला चरण होता है।

हम पूरा जीवन खुद को बेहतर इंसान साबित करने मे गुजार देते हैं लेकिन अंतिम क्षण में जब सब कुछ खत्म होने को होता है तो कुछ भी मायने नहीं रखता। मायने रखता है तो केवल यह कि हम कैसे जिये और हमने क्या सही किया और क्या गलत। क्या ऐसा किया जो नहीं करना चाहिए था और क्या नहीं किया जो करना चाहिए था।

जब मृत्यु नजदीक हो तो इंसान उन सभी अच्छे बुरे पलों को याद करता है जो उसके जीवन के सबसे नजदीक रहे और जिन्होने उसकी जीवन के रुख को मोड़ दिया। आखिर साथ जाता है तो अच्छी बुरी यादें और कुछ पश्चाताप यानि पछतावे। इंसान के अंतिम दिनों में पछतावे पर ब्रोनी वेयर की एक किताब ने तहलका मचा दिया। हम उसी किताब से टॉप 5 पछतावों पर चर्चा करेंगे जो ब्रोनी वेयर ने अपनी बेस्ट सेलिंग किताब में लिखे हैं।

कौन है ब्रोनी वेयर

आस्ट्रेलिया की रहने वाली अब 52 वर्षीय ब्रोनी वेयर कई वर्षों तक कोई ढंग का काम तलाशती रही, लेकिन कोई फॉर्मल ट्रेनिंग, क्वालीफिकेशन या अनुभव न होने के कारण बात नहीं बनी। फिर उन्होंने एक हॉस्पिटेल की पैलिएटिव केयर यूनिट में काम करना शुरू किया। यह वह यूनिट होती है जिसमें टर्मिनली इल या अंतिम स्टेज वाले मरीजों को रखा  जाता है। उसमें मृत्यु से जूझ रहे लाइलाज बीमारियों व असहनीय दर्द से पीड़ित मरीजों की मैडीकल डोज धीरे-धीरे कम की जाती है और परामर्श(counseling) के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक और आस्था चिकित्सा (faith healing) की जाती है। जिससे वे एक शांति पूर्ण मृत्यु की ओर बढ़ सकें।

ब्रोनी वेयर ने ब्रिटेन और मिडिल ईस्ट में कई वर्षों तक मरीजों की कांऊसलिंग करते हुए पाया कि मरते हुए लोगों को कोई न कोई पछतावा(regret) जरूर था। उन्होंने यह भी पाया कि मरते हुए मरीजों के बड़े पछतावे या रिग्रेट्स में एक कॉमन पैटर्न था। हम सब इस सच्चाई को जानते हैं कि मरता हुआ व्यक्ति हमेशा सच बोलता है। उसकी एक-एक बात ईश्वर की वाणी (इपिफनी, epiphany) जैसी होती है।

मरते हुए मरीजों की इपिफनी को ब्रोनी वेयर ने 2009 में एक ब्लॉग के रूप में रिकार्ड किया। बाद में उन्होंने अपने निष्कर्ष को एक किताब ‘द टॉप फाइव रिग्रेट्स ऑफ द डाइंग‘ के रूप में पब्लिश किया। छपते ही यह विश्व की बैस्ट सैलिंग बुक साबित हुई और अब तक 29 भाषाओं में छप चुकी है। पूरी दुनिया में इसे 10 लाख से भी ज्यादा लोगों ने पढ़ा और प्रेरित हुए। देखें किताब.

बोनी द्वारा लिखित पांच सबसे बड़े पछतावे संक्षेप में ये हैं। 

1
काश! मैं दूसरों के अनुसार न जीकर अपने अनुसार जिंदगी जीने की हिम्मत जुटा पाता

यह सबसे ज्यादा सामान्य पछतावा था। इसमें यह भी शामिल था कि जब तक हम यह महसूस करते हैं कि अच्छा स्वास्थ्य ही आजादी से जीने की राह देता है तब तक यह हाथ से निकल चुका होता है।

2
काश! मैंने इतनी कड़ी मेहनत न की होती

ब्रोनी वेयर ने बताया कि उन्होंने जितने भी मरीज पुरुषों का उपचार किया लगभग सभी को यह रिग्रेट था और उन्होंने अपने रिश्तों को समय न दे पाने की गलती मानी। ज्यादातर मरीजों को पछतावा था कि उन्होंने अपना अधिकतर जीवन अपने कार्यस्थल पर खर्च कर दिया। उसमें से हरेक ने कहा कि थोड़ी कम मेहनत करके अपने और अपने के लिए समय निकाल सकते थे।

3
काश! मैं अपनी भावनाओं का इजहार करने की हिम्मत जुटा पाता

ब्रोनी वेयर ने पाया कि बहुत सारे लोगों ने अपनी भावनाओं का केवल इसीलिए गला घोंट दिया जिससे कि शांति बनी रहे । परिणामस्वरूप उनको औसत दर्जे का जीवन जीना पड़ा और वे अपनी वास्तविक योग्यता के अनुसार ऊंची जगह नहीं पा सके। इस बात की कड़वाहट और असंतोष के कारण उनको कई बीमारियां हो गईं।

4
काश! मैं अपने बचपन के दोस्तों के सम्पर्क में रहा होता

ब्रोनी वेयर ने देखा कि अक्सर लोगों को मृत्यु के नजदीक पहुंचने तक पुरानी दोस्ती के पूरे फायदों का वास्तविक आभास भी नहीं हुआ। अधिकतर तो अपनी जिंदगी में इतने उलझ गए थे कि उनकी कई वर्ष पुरानी गोल्डन फ्रेंडशिप उनके हाथ से निकल गई थी। उनके द्वारा दोस्ती को अपेक्षित सय और जोर न देने का गहरा अफसोस था। हर कोई मरते वक्त अपने दोस्तों को याद कर रहा था।

5
काश! मैं अपनी इच्छानुसार अपने आपको खुश रख पाता

आम आश्चर्य की यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि कई लोगों को जीवन के अंत तक यह पता ही नहीं चलता कि खुशी भी एक च्वाइस है। यानि हम अपनी मर्जी से जब चाहें खुश हो सकते हैं और इसमें कोई भी बाहरी चीज़ अड़चन पैदा नहीं कर सकती, बशर्ते हम अपनी गुलामी वाली मानसिकता से बाहर निकलें. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि “हैपीनेस इज नाओ।” HAPPINESS IS NOW!!!

तो आप क्या समझे? जीवन को एक अलग नज़रिये से देखिये और आप पाएंगे की आप जीवन के असली आनंद का अनुभव कर रहे हैं। अगर आप ब्रोनी वेयर की किताब पढना चाहते हैं तो यहाँ से खरीद सकते हैं. बहुत ही लाइफ चेंजिग किताब है जिसका मूल्य केवल 942 रूपए है.

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