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इस ग्रह के हैं ’82’ उपग्रह

किसी ग्रह के चारों ओर परिक्रमा करने वाली चीज को ही उपग्रह कहते हैं। बोलचाल की भाषा में इसे चांद कहा जाता है। हमारी पृथ्वी का एक चांद है। हमारे सौरमंडल में मौजूद सभी 8 ग्रहों के पास चांद मौजूद हैं।

ये चांद एक निश्चित समय में अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारा चांद हमारी पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

वैसे आप शनि ग्रह के कुछ चांद यह जानकार हैरान हो जाएंगे कि एक ग्रह ऐसा भी है जिसके एक या दो नहीं बल्कि पूरे 82 चांद हैं।

ये सभी 82 उपग्रह अपने ग्रह की परिक्रमा करते रहते हैं। बड़ी बात यह है कि इसमें से 20 उपग्रहों को तो 2 साल पहले ही खोजा गया है।

सौरमंडल में 82 चांद वाले इस ग्रह का नाम ‘सैटर्न’ यानी शनि है। आज से दो साल पहले तक सबसे अधिक चांद के होने का तमगा ज्यूपिटर’ यानी बृहस्पति ग्रह के नाम था लेकिन 2019 में खगोलविदों ने शनि की परिक्रमा करते हुए 20 नए चांद की खोज कर इतिहास को बदल दिया।

बृहस्पति के पास वर्तमान में 79 चांद हैं। इन 20 नए उपग्रहों को कार्नेगी इंस्टीच्यूशन फॉर साइंस के स्कॉट एस. शैपर्ड के नेतृत्व में एक टीम ने खोजा था।

वैज्ञानिकों ने शनि के जिन नए चांद की खोज की, उनमें से एक की परिभ्रमण कक्षा ही शनि से सबसे ज्यादा दूर है। इन उपग्रहों का आकार लगभग एक समान ही है। इनका व्यास करीब 5 किलोमीटर के आस-पास है।

20 में से दो चांद को शनि की परिक्रमा करने में 2 साल का समय लगता है जबकि बाकी के 18 चांद को ऐसा करने में तीन साल से अधिक का समय लगता है। अन्य ग्रहों के चांद की तुलना में शनि के ये नए चांद एक समान कक्षा में परिक्रमा करते हैं।

इनकी कक्षाएं पहले से ज्ञात शनि के बाकी के चांदों से मिलती-जुलती हैं। ऐसे में इन चांदों के झुकाव को देखकर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये सभी कसी बड़े उपग्रह के टुकड़े हो सकते हैं, जो पहले से शनि की परिक्रमा कर रहा था।

खगोलविदों का मानना है कि इन छोटे और हमारे सौरमंडल के बड़े चांदों के बीच के संबंध का अध्ययन करने से उन्हें बड़ी जानकारी मिल सकती।

इससे धरती के बनने के रहस्य से भी पर्दा उठ सकता है। हवाई द्वीप पर लगे हुए सुबारू टैलीस्कोप से वैज्ञानिकों ने पहली बार इन चांदों को देखा था।

पंजाब केसरी से साभार

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