Thursday, April 11, 2024
25.9 C
Chandigarh

भारत की अजीबोगरीब परंपराएँ

भारत में कई ऐसी परंपराएँ मौजूद हैं जो कई वर्षों से अपने मूल रूप में ही चली आ रही हैं। इन परंपराओं को मानने वाले इन्हें पूरी आस्था के साथ निभाते हैं। इनमें से कुछ परंपराएँ खतरनाक भी होती हैं लेकिन इनको निभाते समय लोगों के मन में किसी प्रकार का डर नही होता और वे जानलेवा परंपराओं को निभाने से भी पीछे नहीं हटते।

आज हम आपको भारत की कुछ ऐसी ही परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएँगे।

बच्चों को ऊपर से नीचें फेकना

baby_droppingमहाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर की दरगाह में बहुत ही अजीबोगरीब परंपरा है। यहाँ हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को करीब 50 फीट की ऊंचाई से नीचे फेंकते हैं और नीचे खड़े लोग उन बच्चों को चादर से पकड़ते हैं। उनका मानना है कि  ऐसा करने से बच्चों का स्वास्थ्य और शरीर मजबूत होता है। यह परंपरा 700 साल से अधिक समय से चली आ रही है।

बच्चों की लंबी उम्र के लिए देवी को चढ़ाई जाती है लौकी

traditions of Indiaछत्तीसगढ़ के रतनपुर में स्थित शाटन देवी मंदिर से एक अनोखी परंपरा जुड़ी है। यहाँ मंदिर में लौकी चढ़ाई जाती है। यहाँ लोग अपने बच्चों की तंदुरुस्ती के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहाँ लौकी चढ़ाता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

पहाड़ बताता है शिशु का लिंग

bizarre-traditionsझारखंड के खुखरा गाँव में अनोखी परंपरा है जो पिछले 400 सालों से चली आ रही है। इस गाँव में एक पहाड़ पर बनीं हुई एक चाँद की आकृति है। गाँव के लोगों का मानना है कि चाँद की आकृति वाला ये पहाड़ गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग बता देता है।

गर्भवती महिलाएँ कुछ दूरी से पत्थर फेंकती हैं। अगर यह पत्थर चाँद की आकृति के अंदर लगता है तो इसका मतलब है कि गर्भ में लड़का है। अगर बाहर लगे तो गर्भ में लड़की पल रही है। इस परंपरा पर गाँव वालों का अटूट विश्वास है।

गायों के पैरों से कुचलना

traditions-of-madhya-pradeshमध्य प्रदेश के उज्जैन के कुछ गांवों में सदियों से ये परंपरा चली आ रही है। इसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और उनके ऊपर गायों को दौड़ा दिया जाता है। यह परंपरा दिवाली के अगले दिन एकादशी पर्व को निभाई जाती है।

इस दिन उज्जैन जिले के भीडावद और आस पास के गाँव के लोग पहले अपनी गायों को रंगों और मेहंदी से सजाते हैं। फिर अपने गले में माला डालकर रास्ते में लेट जाते हैं। इसके बाद गायों को छोड़ दिया जाता है और वे दौड़ती हुईं लोगों के ऊपर से गुजर जाती हैं। लोगों का मानना है कि इससे तरक्‍की का आशीर्वाद मिलता है और उनकी मनोकामना पूरी होती है।

गले तक मिट्टी में दफना दिए जाते हैं बच्चे

traditions-of-karnataka-and-andhra-pradeshउत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है। जहाँ बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए जमीन में गले तक गाड़ दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि मिट्टी काफी पवित्र होती है और इस रिवाज के तहत बच्चों को 6 घंटों तक मिट्टी के अंदर रखा जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

15,988FansLike
0FollowersFollow
110FollowersFollow
- Advertisement -

MOST POPULAR

RSS18
Follow by Email
Facebook0
X (Twitter)21
Pinterest
LinkedIn
Share
Instagram20
WhatsApp