एक रहस्यमयी मंदिर जिसका दरवाज़ा खुलता है सिर्फ महाशिवरात्रि पर

भारत में कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक शिव मंदिर है, जिनके दर्शन करने हर साल लाखों की तादाद में भक्त पहुंचते हैं। भारत में कई शिव मंदिर ऐसे भी हैं,जहां तक पहुँचने के लिए भक्तों को काफी दुर्गम यात्रा भी करनी होती है।

आज हम आपको भगवान शिव के ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां मत्था टेकने के लिए पूरे साल इंतजार करना पड़ता है। एक ऐसा मंदिर जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है।

हम बात कर रहे हैं, जयपुर स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर की, जो साल में सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही खुलता है। इसे शंकर गढ़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

जयपुर में मोतीडूंगरी शंकरगढ़ की पहाड़ी स्थित एकलिंगजी और चांदनी चौक के राज-राजेश्वर मंदिर ऐसे दो मंदिर है जो वर्ष में सिर्फ एक बार खुलते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर ही यहां श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन होते हैं। यही कारण है कि यहां अलसुबह से भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है।

जयपुर का यह मंदिर बिरला मंदिर के पीछे मोती डूंगरी के पास शिवडूंगरी पर स्थित है। इस मंदिर के पुजारी ने बताया कि इसकी स्थापना बहुत पुरानी है। यह जयपुर की स्थापना से भी पहले बनाया गया था। शिवरात्रि के दिन ही इसके पट आम भक्तों के लिए खुलते हैं।

यह महादेव मंदिर जयपुर राज परिवार का निजी मंदिर है और इस मंदिर में खुद जयपुर के महाराजा और महारानियां पूजा-अर्चना करने आते थे। खुद जयपुर की राजमाता गायत्री देवी तक कई बार यहाँ महादेव की पूजा करने पहुँचती थीं। आमजन को सालभर शिवरात्रि का ही इंतजार करना पड़ता है जब मंदिर के पट खुलते हैं और उन्हें एकलिंग जी के दर्शन होते है।

इस मंदिर में पहले शिव भगवान के साथ माता पार्वती और उनके पुत्र गणेश की मूर्ति की स्थापना की गयी थी, लेकिन कुछ समय बाद वह मूर्तियां अपने आप गायब हो गयी थी, लेकिन फिर से मूर्तियों की स्थापना की गयी, जो एक बार फिर से विचित्र तरीके से विलुप्त हो गयीं। जिसके बाद किसी ने भी दुबारा मंदिर में भगवान शंकर के अलावा किसी भी मूर्ति की स्थापना करने का साहस नहीं किया।

सावन के महीने में या किसी बड़े पारिवारिक कार्यक्रम में राज परिवार के सदस्य यहां पूजा-पाठ करने पहुंचते हैं। इस मंदिर से जुड़े सभी खर्च शाही परिवार द्वारा वहन किए जाते हैं।

चूंकि यह मंदिर साल में एक ही बार खुलता है इसलिए शिवरात्रि के दिन इसके प्रति श्रद्धालुओं में विशेष आकर्षण होता है। करीब एक किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ कर एवं कई घंटों तक लाइन में खड़े होकर लोग यहां भगवान के दर्शन करते हैं।

वैलेंटाइन डे से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य!

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फरवरी का महीना लव बर्ड्स के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल वैलेंटाइन वीक 7 से 14 फरवरी को मनाया जाता है।

इस वीक में लोग अपने चाहने वालों को गिफ्ट्स सरप्राइज देते है साथ ही क्वालिटी टाइम भी बिताते है। वैलेंटाइन वीक में ऐसे कई मौके आते हैं, जिसमें कपल्स अपने प्यार का इजहार करते हैं और अपने पार्टनर को स्पेशल फील कराते हैं।

रोज़ डे वैलेंटाइन वीक की शुरुआत का प्रतीक है, जहां लोग गुलाब का आदान-प्रदान करके अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।

गुलाब के विभिन्न रंग विशिष्ट अर्थ रखते हैं, सफेद रंग सद्भाव या पवित्रता का प्रतीक है, पीला दोस्ती का और लाल प्यार का प्रतीक है। इसके बाद प्रपोज़ डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे, किस डे और समापन वैलेंटाइन डे के साथ होता है।

संत वैलेंटाइन

वैलेंटाइन डे का नाम संत वैलेंटाइन के नाम पर रखा गया। दरअसल रोम में क्लॉडियस नाम का राजा था। जिसका मानना था कि शादी करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धी खत्म हो जाती है। यही सोच के चलते क्लॉडियस ने अपने राज्य में ये आदेश जारी कर दिया कि उसके राज्य का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी शादी नहीं करेगा।

वहीं संत वैलेंटाइन ने क्लॉडियस के इस आदेश का विरोध करते हुए सभी को शादी करने के लिए प्रेरित किया, और अधिकारियों व कर्मचारियों की शादी करवाई। जब क्लॉडियस को इस बात का पता चला तो उसने संत वैलेंटाइन को जेल में डलवा दिया।

वहां वैलेंटाइन ने जेलर की नेत्रहीन बेटी को अपनी आंखें निस्वार्थ भाव से दान कर दी और उसने एक खत में लिखा ‘तुम्हारा वैलेंटाइन’। उसके बाद क्लॉडियस ने 14 फरवरी सन 269 को संत वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ाया गया था। तब से उनकी याद में ये दिन मनाया जाता है।

रोचक तथ्य

  • वैलेंटाइन डे‘ की शुरूआत भारत में 1992 में हुई थी।
  • कार्ड भेजने के लिए वैलेंटाइन डे साल का दूसरा सबसे लोकप्रिय दिन है और क्रिसमस पहला सबसे लोकप्रिय दिन माना जाता है।
  • वैलेंटाइन डे एक ऐसा प्रेम दिवस है जो कि यूरोपीय देशों से शुरू हुआ है लेकिन आज के समय में ये दुनियाभर के सभी लोगों द्वारा मनाया जाता है क्योंकि ये एक प्रेम दिवस है इसलिए नव युवक और युवती एक दूसरे के साथ इस दिन समय बिताना ज़्यादा पसंद करते हैं।

  • प्रत्येक वर्ष लगभग 1 बिलियन वैलेंटाइन डे कार्ड का आदान-प्रदान किया जाता है।
  • इस दिन फूल खरीदने वालों में लगभग केवल 27 प्रतिशत महिलाएं हैं बाकि 73% पुरुष हैं।
  • यह दिवस दिल के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि इसे सभी मानवीय भावनाओं का स्रोत माना जाता है।
  • 1800 के अंत में रिचर्ड कैडबरी ने पहला वैलेंटाइन डे कैंडी बॉक्स का आविष्कार किया था।
  • प्रत्येक वर्ष इस दिवस पर लगभग 220,000 शादी के प्रस्तावों की औसत संख्या आंकी गई है।
  • वैलेंटाइन नाम लैटिन शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ “वीरता” है।
  • जापान में सिर्फ पुरुष ही वैलेंटाइन डे मनाते है।
  • इस दिन 35 मिलियन से ज़्यादा दिल के आकार वाली चॉकलेट बिक जाती हैं।
  • इस दिन के मौके पर सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाले लाल गुलाब को प्यार का प्रतीक माना जाता है क्योंकि लाल रंग प्यार को रोमांटिक भावनाओं को प्रदर्शित करने वाला रंग माना जाता है।
  • औसतन पुरुष वैलेंटाइन डे के उपहारों पर महिलाओं की तुलना में दोगुना पैसा खर्च करते हैं।
  • शेक्सपियर के नाटक रोमियो और जूलियट में कहा गया है कि वे वेरोना इटली में रहते थे। जूलियट को संबोधित वेरोना में हर साल हजारों वैलेंटाइन डे कार्ड भेजे जाते हैं।
  • अमेरिका के 60% लाल गुलाब कैलिफोर्निया राज्य में उगाए जाते हैं
  • कम से कम 9 मिलियन लोग अपने पालतू जानवरों को वैलेंटाइन डे के दिन उपहार देते हैं।
  • विक्टोरियन के समय में इस कार्ड पर हस्ताक्षर करना अपशकुन माना जाता था।
  • सबसे पुराना ज्ञात वैलेंटाइन कार्ड लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाता है। यह 1400 के दशक का है।
  • फिनलैंड के लोग वैलेंटाइन डे को “फ्रेंड्स डे” के रूप में मनाते हैं। वहां इस दिन दोस्तों को याद किया जाता है।

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चॉकलेट हिल्स : प्रकृति का बेहद खूबसूरत नज़ारा

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दुनिया में बहुत सी ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जिन्हें देखकर मन गदगद हो जाता है। जो लोग घूमने-फिरने के शौकिन होते हैं वो हमेशा ही नई और खूबसूरत जगहों की तलाश में रहते हैं।

बहुत से ऐसी जगहें हैं, जो अपनी खूबसूरती के प्रसिद्ध हैं और यही वजह है कि लोग लाखों रुपये खर्च करके इन जगहों को देखने और समय बिताने के लिए जाते हैं।

आज हम आपको इस लेख में ऐसी ही एक खूबसूरत जगह के बारे में बताने जा रहें है जिसका नाम है “चॉकलेट हिल्स“। यह खूबसूरत जगह फिलिपींस के बोहोल प्रांत में स्थित है। प्रकृति के इस मनमोहक नज़ारे को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं।

इस हिल्स की खूबसूरती और अद्भुत नजारों की वजह से लोग इसे दुनिया का आठवां अजूबा भी कहते हैं। यह हिल्स सागबयान, बतूआन, कारमेन, बिलार, सिएरा बुलोन्स और वैलेन्सिया शहर में फैली हुई है।

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चॉकलेट हिल्स

क्यों कहा जाता है चॉकलेट हिल्स?

यह चॉकलेट हिल्स चूना पत्थर की बनी है और सिर्फ घास से ढकी रहती है। यहां की घास शंकु (तिकोने) के आकार की होती है और करीब-करीब सबका आकार एक बराबर ही होता है। गर्मी के मौसम में जब घास सूख जाती है तो यह भूरे रंग की हो जाती है।

उसका रंग बिल्कुल चॉकलेट के रंग जैसा होता है। इसी वजह से हिल्स को चॉकलेट हिल्स कहा जाता है। चॉकलेट हिल्स में 1,268 से ज्यादा तिकोने आकार की पहाड़ियां हैं। चॉकलेट हिल्स को फिलिपींस की राष्ट्रीय भूविज्ञानी कमेटी द्वारा तीसरा राष्ट्रीय भूविज्ञानी स्मारक घोषित किया गया है।

यहां दो रेजॉर्ट भी हैं। एक कारमेन शहर में है जिसको चॉकलेट हिल्स कंप्लेक्स के नाम से जाना जाता है और दूसरा सागबयान में है जिसे सागबयान पीक के नाम से जाना जाता है। इन दोनों में सबसे पुराना रेजॉर्ट कारमेन कंप्लेक्स है जो शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है। चॉकलेट हिल्स कंप्लेक्स सरकार के अधीन है। यहां एक रेस्ट्रॉन्ट, स्विमिंग पुल और एक होटल भी है।

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चॉकलेट हिल्स

चॉकलेट हिल्स से जुड़ी किंदंतियां

इस पहाड़ी से जुड़ीं तीन किंदंतियां भी हैं। पहली किंवदंती के अनुसार यहाँ दो राक्षसों के बीच झगड़ा हुआ था। उन्होंने एक-दूसरे पर कीचड़, चट्टान और बालू से हमला किया। कई दिनों तक वे लड़ते रहे और अंत में जब थक गए तो झगड़ना बंद कर दिया। लेकिन कीचड़, पत्थर और बालू वहीं रहे जो हजारों साल बाद पहाड़ी में बदल गए।

दूसरी किंवदंती बहुत रोमांटिक है। कहा जाता है कि एक अरोगो नाम के एक युवा और शक्तिशाली राक्षस को एक बार एलोया नाम के एक लड़की से प्यार हो जाता है। दोनों की शादी हो जाती है लेकिन कुछ दिनों बाद बीमार होकर लड़की की मौत हो जाती है। इससे राक्षस काफी दुखी हो जाता है और फूट-फूटकर रोता है। उसके आंसू गिर-गिरकर जमीन पर ढेर हो गए जिससे चॉकलेट हिल्स बनी।

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तीसरी किंवदंती में कहा जाता है कि कारमेन की समतल भूमि कभी राक्षसों के बच्चों के लिए खेल का मैदान थी। एक दिन उन्होंने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया।

उनके बीच प्रतियोगिता थी की जो ज्यादा केक बनाएगा, वह जीत जाएगा। उन्होंने कीचड़ और बालू का केक बनाया और उसे धूप में सूखने रख दिया। हालाँकि, प्रतियोगिता समाप्त होने से पहले, बच्चों को घर बुला लिया गया। थोड़ी देर के बाद, जब वे घर से आए तो देखा कि उनके केक पक गए हैं लेकिन उन्होंने अपनी कलाकृति को नहीं तोड़ने का फैसला किया और वैसे ही रहने दिया जो बाद में चॉकलेट हिल्स बन गई।

X यूजर ने AI की मदद से तैयार की अद्भुत तस्वीरें

सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से भगवान राम के नाम की ही गूंज है। अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से हर तरफ भगवान श्री राम की चर्चा है।

सोशल मीडिया इस प्रतीक्षित अवसर पर लोगों के विभिन्न नजरिए और अनुभवों को साझा कर रहा है। यह एक शानदार डिजिटल लहर है जो दिखाती है कि राम मंदिर निर्माण का कितना अद्वितीय प्रभाव हुआ है। ऐसा लगता है कि हर कोई इस महत्वपूर्ण अवसर को अपने अनुभवों के रूप में स्वागत कर रहा है।

हालांकि एक X (ट्विटर) यूजर ने कुछ ऐसा कमाल किया है कि जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाएगा है। ‘माधव कोहली‘ नाम के एक X यूजर ने (AI) एआई की मदद से पूरी की पूरी रामायण ही तैयार कर डाली है।

माधव कोहली ने सदियों पुरानी इस कहानी को बहुत ही अनोखे और आधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया है। इसके उन्होंने AI तकनीक का इस्तेमाल किया है। तस्वीरों के जरिए शानदार प्रदर्शन के लिए उन्होंने नैचुरल लेंग्वेज प्रोसेसिंग, इमेज जेनरेशन एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया है। इससे रामायण का एक बेहद अलग और खूबसूरत रूप सामने आया है।

उन्होंने महज 60 पोस्ट में रामायण की पूरी कहानी शेयर की। उन्होंने थ्रेड को कैप्शन दिया, “महर्षि वाल्मिकी द्वारा संपूर्ण रामायण।

60 वर्षों से केवल ‘चाय’ पीकर जिंदा है यह महिला

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यह कहावत तो सभी ने सुनी होगी कि हम अपने शरीर को जैसे ढाल लेते हैं, शरीर वैसे ही ढल जाता है। कुछ ऐसी ही एक कहानी पश्चिम बंगाल की 79 वर्षीय दादी की है, जिन्होंने पिछले 55- 60 सालों से अन्न् का एक भी दाना ग्रहण नहीं किया है। वह एकदम स्वस्थ हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है। इस महिला का नाम अनिमा चक्रवर्ती है।

अनिमा चक्रवर्ती कोलकाता के गोघाट श्याम बाजार ग्राम पंचायत के बेलडीहा गांव की रहने वाली हैं। बचपन से गरीब परिवार में पली-बढ़ी अनिमा शादी के बाद दूसरों के घरों में काम करती थीं। गरीबी के कारण घर में कुछ अनाज नहीं रहता था। इसी वजह से वह समय पर खाना नहीं खा पाती थीं।

79 वर्षीय अनिमा चक्रवर्ती के बेटे ने बताया कि 50-60 साल पहले हमारे परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी। मेरी मां लोगों के घरों में काम करने जाती थीं। वह वहां से जो चावल लाती थीं, वे हम सभी बच्चों को खिला देती थीं।

फिर वह भूखी सो जाती थीं। इस तरह अनिमा करीब-करीब हर रोज चाय पीकर गुजारा कर लेती थीं तभी से उनको चाय पीकर दिन गुजारने की आदत पड़ गई।

धीरे-धीरे उनका खाना पूरी तरह छूट गया। ये बातें करीब 60 साल पहले की हैं। एक तरफ अनिमा चक्रवर्ती का खाना छूटा और दूसरी तरफ उनकी चाय पर निर्भरता बढ़ गई। आज वह सिर्फ चाय पीकर जिंदा हैं। वह सालों से बिना कुछ खाए स्वस्थ और सामान्य जीवन जी रही हैं।

उनके बेटे ने यह भी बताया कि वह पहले दिन में दो से तीन बार चाय पीती थीं, लेकिन अब वह दो बार से ज्यादा चाय भी नहीं पीती। उनको कोई बीमारी नहीं है, लेकिन दो से अधिक बार चाय लेने पर उन्हें उल्टी आ जाती है।

वह आज भी कोई ठोस आहार नहीं खा रहीं। वह पूरे दिन घर के काम में व्यस्त रहती हैं। सुबह और रात में दो बार दूध वाली चाय पीती हैं।

पंजाब केसरी से साभार

जब युवती ने खेल-खेल में धक्का देकर अपनी दोस्त को लगभग मार ही दिया था, हुई थी जेल!

क्या आप ने कभी हंसी-मजाक में अपने किसी दोस्त को खेल-खेल में पानी में या कोई भी अन्य खेलते हुए उसे जबरदस्ती धकेला है? क्या ऐसा करने के बाद आपको जेल हुई थी? नहीं न, क्योंकि ऐसा करके आपने अपने दोस्त की जान जोखिम में नहीं जो डाली होगी। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन की जॉर्डन होल्गरसन और टेलर स्मिथ का मामला थोड़ा गंभीर था।

दरअसल, सन 2019 में वाशिंगटन की टेलर स्मिथ(Taylor Smith) को अपनी दोस्त को 60 फुट ऊंचे पुल से धक्का देने वाली एक किशोरी को दो दिन जेल की सजा सुनाई गई थी। अपनी इस बचकानी हरकत के बाद टेलर स्मिथ पहले तो इस हरकत को अपराध ही नहीं माना। हालाँकि वकील के समझाने पर उसने अदालत में अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

तब 17 साल की टेलर स्मिथ को 7 अगस्त को मौलटन फॉल्स रीजनल पार्क में एक पुल से उस समय 16 वर्षीय जॉर्डन होल्गरसन(Jordan Holgerson) को लापरवाही से धक्का देकर उसकी जान खतरे में डालने के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद सामाजिक सेवा दल में 38 दिन बिताने का आदेश दिया गया था। उस समय मोबाइल फ़ोन पर कैद इस घटना की 10 सेकंड की वीडियो क्लिप वायरल हो गई थी।

मौलटन फॉल्स रीजनल पार्क का पुल जिससे जॉर्डन होल्गरसन(Jordan Holgerson) को धक्का दिया गया

लापरवाही से बिना अलर्ट के धक्का देने के बाद 60 फुट ऊंचे पुल से पानी में गिरने के कारण होल्गरसन की छह पसलियां टूट गईं और फेफड़े भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। स्मिथ को 300 डॉलर का जुर्माना भी भरना पड़ा और दो साल तक होल्गरसन से कोई संपर्क नहीं का भी आदेश मिला, क्यूंकि होल्गरसन उससे बात नहीं करना चाहती थी।

स्मिथ को सजा सुनाने से पहले, न्यायाधीश ने होल्गरसन, उसकी मां और प्रतिवादी की बातें सुनीं। होल्गरसन इतनी भावुक थीं कि उन्होंने एक पीड़िता के वकील से अपना बयान पढ़वाया। क्लार्क काउंटी जिला न्यायालय के न्यायाधीश डार्विन ज़िम्मरमैन ने स्मिथ को सजा सुनाने से पहले होल्गर्सन की चोटों की गंभीरता पर ध्यान दिया।

टेलर स्मिथ सुनवाई के दौरान

ज़िम्मरमैन ने कहा, “मुझे लगता है कि आपको कुछ समय जेल में बिताने की ज़रूरत है।”। सजा के बाद स्मिथ को हथकड़ी लगाकर ले जाया गया।

“यह दुःस्वप्न मेरे लिए तब शुरू हुआ जब मैं हवा में गिर रहा था, और मैं वास्तव में भयभीत थी।” “जब मुझे पानी से निकाला जा रहा था, मैंने सोचा, ‘मैं नहीं बचूँगी,’ क्योंकि मैं साँस नहीं ले पा रही थी। और मैं अपने शरीर को हर पल रंग बदलते हुए देख रही थी।”

उसकी मां जेनेल होल्गरसन ने जज से कहा कि उनका मानना ​​है कि टेलर स्मिथ ने जानबूझकर उसे धक्का दिया था और उसे उतने ही दिन जेल में बिताने चाहिए जितने उनकी बेटी को घटना के बाद अस्पताल में बिताने पड़े, यानी कुल तीन दिन।

जॉर्डन होल्गरसन अस्पताल में उपचाराधीन

जेनेल होल्गरसन ने कहा, “टेलर उसे धक्का देने के बाद, यह देखने के लिए भी नीचे नहीं आई कि जॉर्डन ठीक है या नहीं, और वह घटनास्थल से भाग गई।” “वह जॉर्डन को देखने अस्पताल भी नहीं आई। वह हमारे घर पर यह देखने के लिए भी नहीं आई कि क्या जॉर्डन ठीक है। यह एक दोस्त की तरह का व्यवहार तो बिलकुल नहीं था।

बाद में दोषी स्मिथ ने रोते हुए कहा, “पिछली गर्मियों में मेरे नासमझी भरे कार्यों के कारण जो दर्द और अपमान जॉर्डन होल्गरसन, उनके परिवार और दोस्तों को अनुभव हुआ, उसके लिए मैं जॉर्डन होल्गरसन, उनके परिवार और दोस्तों से ईमानदारी से माफी मांगना चाहता हूं।” “हालाँकि ऐसा लग सकता है कि मेरा इरादा नुकसान पहुँचाने का था” और जैसे “मैं खुद को कोई सज़ा दिए बिना आगे बढ़ सकता था, यह गलत है। घटना के बाद से ही बार-बार मैं जॉर्डन के बारे में और अपने कृत्य के बारे में सोचती रही।

जब अमिताभ बच्चन को चुनाव में मिले थे 4000 “Kiss Vote”

चुनाव, लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके द्वारा लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। चुनाव में उम्मीदवार को उनके समर्थक वोट और नोट देने का दम भरते हैं। आप ने अक्सर चुनाव में नोट और वोट की बात तो सुनी ही होगी, लेकिन क्या आप ने कभी सुना है किसी उम्मीदवार को ऐसे वोट पड़ें हों, जिन पर मुहर की जगह औरतों ने किस (Kiss) करके लिपस्टिक मार्क (Lipstick Mark) बनाकर “Kiss Vote” डाला हो।

जी हाँ यह बात बिलकुल सच है, आज हम आपको बताएंगें, ऐसा कब और क्यों हुआ था।

साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने अपने करीबी दोस्त अमिताभ बच्चन को चुनाव लड़ने के लिए कहा। अमिताभ बच्चन को इंदिरा गांधी अपने बेटे के समान मानती थीं।

राजीव के कहने पर अमिताभ भी चुनाव लड़ने के लिए मान गए। अमिताभ इलाहाबाद से उस वक्त के दिग्गज नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा के विरुद्ध खड़े हो गए। हेमवतीनंदन बहुगुणा का सियासी कद बहुत बड़ा था।

सबको यही लगा कि अमिताभ का जितना तो दूर की बात है, वह हेमवतीनंदन को टक्कर भी नहीं दें पाएंगें। लेकिन इस चुनाव का नतीज़ा यह हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना तक भी नहीं की थी। अमिताभ बच्चन ने हेमवतीनंदन बहुगुणा को एक या दो हजार नहीं, बल्कि एक लाख 87 हजार वोटों के अंतर से हराया। इतनी बुरी हार के बाद बहुगुणा ने सियासत से ही संन्यास ले लिया।

लेकिन इस चुनाव की एक और खास बात थी। मतगणना के दौरान अमिताभ के 4000 हजार वोट रद्द हो गए थे। यह चार हजार वोट रद्द होने की वजह बड़ी ही दिलचस्प थी। दरअसल जो लड़कियां और महिलाएं अमिताभ बच्चन की फैन्स थी, उन्होंने अपने मतपत्र पर मुहर की बजाए lipstick से kiss mark बनाकर अमिताभ को वोट डाला था।

ऐसा उदाहरण आजतक कोई दूसरा नहीं आया है, लेकिन अमिताभ के यह रद्द हुए 4000 kiss vote इतिहास में दर्ज़ हो गए। हालांकि अमिताभ बच्चन ने अपना वो कार्यकाल पूरा नहीं किया और 1988 में ही संसद छोड़ दी थी। इस चुनाव में इलाहाबाद में अमिताभ की लोकप्रियता लोगों के सर चढ़कर बोली थी, क्योंकि चुनाव बूथों पर रात 10 बजे तक वोटिंग हुई थी।

कई पोलिंग बूथों पर 100 फीसदी तक वोटिंग हुई थी। इलाहाबाद के उस चुनाव में 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से 69 फीसदी वोट अमिताभ बच्चन को मिले थे। उस समय इतनी ज़बरदस्त वोटिंग देखकर चुनाव आयोग ने यह टिप्पणी की थी कि “क्या एक भी आदमी वोटिंग के दिन बीमार नहीं था”। इस चुनाव में अमिताभ के खिलाफ हेमवतीनंदन बहुगुणा पक्ष ने एक दिलचस्प चुनावी नारा भी दिया था। इस तरह से था वह चुनावी नारा-

हेमवती नंदन, इलाहाबाद का चंदन

दम नहीं है पंजे में, लंबू फंसा शिकंजे में

सरल नहीं संसद में आना, मारो ठुमका गाओ गाना

जब हद हो गई, तो एक जनसभा में अमिताभ बच्चन ने भी गाना गा दिया था- “मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है”। कहते हैं इस गाने ने रही कसर पूरी कर दी, क्योंकि अमिताभ बच्चन इलाहाबाद के थे और बहुगुणा गढ़वाल के। ऐसे में उनके खिलाफ बाहरी होने का मुद्दा भी चल गया।

इस चुनाव में बहुगुणा और उनके समर्थकों ने अमिताभ पर खूब तंज कसे थे। बहुगुणा ने कहा था कि ये नाचने- गाने वाले हैं, चार दिन बाद मुंबई लौट जाएंगें। लेकिन इस बारे में जब मीडिया ने अमिताभ बच्चन को पूछा तो उन्होंने कहा- “बहुगुणा जी हमसे बड़े हैं, उनकी इस बात पर हम कुछ नहीं कह सकते”।

 

रेस्तरां जहाँ आप मर्जी से बिल देते हैं

जब कभी आप किसी होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं तो आपकी नज़र मेन्यू के रेट पर भी जरूर ठहरती होगी। हर कोई चाहता है कि कम बजट में अच्छे से अच्छा खाना खा सकें।

लेकिन अगर हम आपसे कहें कि दुनिया में कई ऐसे रेस्टोरेंट है जहां आप अपनी मर्जी से कुछ भी खाएं आपसे ज्यादा बिल नहीं लिया जाएगा बल्कि आप अपनी मर्जी से बिल का भुगतान कर सकते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो खाना खाने के बाद आपका जो भी बिल देने का मन करें आप चुका सकते हैं।

जी हाँ ‘पे व्हाट यू लाइक’ यानि ‘जो ठीक लगे वही दाम अदा करें’ के सिद्धांत पर आधारित कई रेस्तरां दुनिया भर में मौजूद हैं।

यह सिद्धांत सबसे पहले तब शुरू हुआ जब अंग्रेजी रॉक बैंड ‘रेडियोहैड’ ने अपनी एक एलबम इसी ढंग से बेची। उनकी एलबम अपने गीतों के लिए नहीं बल्कि इस अनोखी मार्केटिंग रणनीति के लिए अधिक मशहूर हुई।

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हालाँकि, ‘पे व्हाट यू लाइक’ सिद्धांत फ़ूड इंडस्ट्री में काफी समय से मौजूद रहा है। वर्ष 1984 में मलेशिया में खुला अन्नालक्ष्मी रेस्त्रां अपने ग्राहकों को वह दाम अदा करने को प्रोत्साहित करता है जो उन्हें ठीक लगता है।

आज इसकी आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मलेशिया तथा भारत में शाखाएं हैं। ये रेस्तरां करीब 2 दशकों से अधिक वक्त से सफलतापूर्वक चल रहे हैं।

‘टैम्पल ऑफ़ फाइन आर्ट्स इंस्टीटूशन’ नामक एक संस्था का हिस्सा अन्नालक्ष्मी रेस्तरां ‘अतिथि देवो भव:’ की नीति पर चलता है। चेन्नई में स्थित अन्नालक्ष्मी रेस्तरां के ग्राहक अक्सर इसे दक्षिण भारतीय भोजन का मंदिर भी कहते हैं।

ग्राहक केवल इस सिद्धांत तथा स्वादिष्ट भोजन ही नहीं बल्कि एक खूबसूरत माहौल में भोजन करने का आनंद लेकर घर लौटते हैं। वहां काम करने वाले स्वयं सेवक हमेशा मुस्कुरा कर उनकी सेवा के लिए तत्पर दिखाई देते हैं।

ऐसा ही एक अनूठा स्थान है गुजरात के अहमदाबाद में स्थित ‘सेवा कैफे’।  वहां भोजन करने के बाद आपको बिल पेश किया जाता है जिस पर ‘शून्य’ लिखा होता है।

बिल के नीचे सन्देश होता है “आपका भोजन आपसे पहले भोजन करके गए किसी व्यक्ति की और से उपहार था। उपहार की इस श्रृंखला को चालू रखने के लिए अपने बाद भोजन करने वालों के लिए कुछ देकर जाने के लिए हम आपको आमंत्रित करते हैं”।

मुस्कुराते स्वयंसेवकों और विनम्र स्टाफ द्वारा यहाँ पर बड़े प्यार से परोसे जाने वाले व्यंजनों पर आने वाले सारे खर्च और होने वाली आय के प्रति भी पूरी पारदर्शिता अपनायी जाती है। मुनाफे को कल्याणकारी कार्यों पर खर्च किया जाता है।

दिल्ली के व्यस्त हौज़ ख़ास इलाके का कुंजाम ट्रेवल कैफे भी ‘पे व्हाट यू लाइक’ सिद्धांत का पालन करता है। वर्ष 2007 से काम कर रहे इस कैफ़े में फ्री वाई-फाई सुविधा भी उपलब्ध है।

आप जितना चाहे समय यहाँ गुजार सकते है। निकासी के दरवाजे के पास एक लकड़ी का बक्सा है जहाँ ग्राहक अपनी मर्जी से कितनी भी रकम डाल सकते हैं जो उन्हें वहां बिताए वक्त या कॉफ़ी के लिए ठीक लगे।

यहाँ के मालिक अजय जैन के अनुसार इस सिद्धांत की सबसे बढ़िया बात है कि लोग यहाँ से संतुष्ट और प्रसन्न होकर ही नहीं जाते बल्कि वे अपनी मर्जी से यहाँ आकर कार्यक्रम भी पेश करते हैं। इस सिद्धांत के बावजूद अजय को इस व्यवसाय में कभी घाटा नहीं हुआ।

लुडमिला पावलिचेंको : इतिहास की बेहद खतरनाक महिला स्नाइपर 

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पूर्व सोवियत संघ की रहने वाली ल्यूडमिला पवलिचेंको (Lyudmila Pavlichenko) एक ऐसा नाम है जिसे इतिहास के जानकर “लेडी डेथ” के नाम से जानते हैं। ल्यूडमिला इतिहास की सबसे खतरनाक महिला शूटर (Sniper) मानी जाती है। कहा जाता है कि उस ने जर्मन तानाशाह हिटलर की सेना की नाक में दम कर दिया था। ल्यूडमिला को सोवियत संघ के ‘हीरो‘ के तौर पर भी जाना जाता है।

ल्यूडमिला द्वितीय विश्व युद्ध के समय सोवियत संघ की रेड आर्मी में एक बेहतरीन स्नाइपर थीं, वो भी तब जब महिलाओं को आर्मी में नहीं रखा जाता था। लेकिन ल्यूडमिला ने अपने हुनर से न सिर्फ सोवियत संघ बल्कि दुनियाभर में नाम कमाया। वैसे वह एक शिक्षक बनना चाहती थी पर वो कहते है न किस्मत में जो लिखा होता है वही होता है।

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ल्यूडमिला का जन्म 12 जुलाई 1916 को रूसी साम्राज्य में कीव गवर्नरेट के बिला त्सेरकवा में हुआ था। जब ल्यूडमिला 14 वर्ष की थीं, तब उनका परिवार कीव चला गया। बचपन से ही ल्यूडमिला पवलिचेंको एक टॉमबॉय की तरह रहती थी ल्यूडमिला एथलेटिक और बाकि स्पोर्ट्स गतिविधियों में बहुत अच्छी थी।

उनके पिता कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे, और उन्होंने रेड आर्मी में रेजिमेंटल कमिसार के रूप में काम किया था। उन्हें ऑर्डर ऑफ द रेड बैनर से सम्मानित भी किया गया था।

1932 में ल्यूडमिला की शादी एलेक्सी पवलिचेंको से हो गई उन्हें एक बेटा भी हुआ जिसका नाम था रोस्टिस्लाव। कुछ समय के बाद शादी टूट गई और ल्यूडमिला अपने माता-पिता के साथ रहने लगी।

हेनरी साकैडा की किताब ‘हीरोइन्स ऑफ द सोवियत यूनियन‘ के मुताबिक, पवलिचेंको पहले हथियारों की फैक्ट्री में काम करती थीं, लेकिन बाद में एक लड़के की वजह से वो स्नाइपर (निशानेबाज) बन गईं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका यात्रा के दौरान ल्यूडमिला ने एक बार बताया था, कि ‘मेरे पड़ोस में रहने वाला एक लड़का शूटिंग सीखता था और वह जब देखो शेख़ी मारता रहता था।

बस उसी वक्त मैंने ठान लिया कि जब एक लड़का शूटिंग कर सकता है तो एक लड़की भी कर सकती है। इसके लिए मैंने कड़ा अभ्यास किया। इसी अभ्यास का नतीजा था कि कुछ ही दिनों में ल्यूडमिला ने हथियार चलाने में महारत हासिल कर ली।

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द्वितीय विश्व के दौरान ल्यूडमिला पवलिचेंको

हालांकि साल 1942 में युद्ध के दौरान ल्यूडमिला बुरी तरह घायल हो गईं, जिसके बाद उन्हें रूस की राजधानी मॉस्को भेज दिया गया। वहां चोट से उबरने के बाद उन्होंने रेड आर्मी के दूसरे निशानेबाजों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया और फिर बाद में वह रेड आर्मी की प्रवक्ता भी बनीं।

1945 में युद्ध खत्म होने के बाद उन्होंने सोवियत नौसेना के मुख्यालय में भी काम किया। 10 अक्तूबर 1974 को 58 साल की उम्र में मॉस्को में ही उनकी स्ट्रोक से उनकी मृत्यु हो गई।

बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने वाली 2023 की शीर्ष 10 फिल्में

बीता साल 2023 बॉलीवुड के लिए काफी अच्छा रहा। 2023 में कई बड़ी फ़िल्में रिलीज़ हुईं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई कर कई रिकार्ड्स कायम किए। आज की इस पोस्ट में हम 2023 में रिलीज़ हुई बॉलीवुड की टॉप 10 फिल्मों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई की।

जवान

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जवान एक हिंदी एक्शन-थ्रिलर फिल्म है जो 7 सितंबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई और 2023 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई। अपने शुरुआती दिन में, फिल्म ने दुनिया भर में 126.9 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। फिल्म का कुल कलेक्शन 1,148.32 करोड़ रुपये है। फिल्म में शाहरुख खान, नयनतारा, विजय सेतुपति और दीपिका पादुकोण अहम भूमिका में थे ।

पठान

जवान के बाद, पठान शाहरुख की दूसरी फिल्म है जिसने कुल कलेक्शन के मामले में 1000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है। ‘पठान’ में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम मुख्य भूमिकाओं में थे। यह फिल्म 225 करोड़ रुपये के बजट में बनी थी और इसने दुनिया भर में 1,004.39 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था। यह फिल्म 25 जनवरी 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।

एनिमल

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हाल ही में रिलीज हुई एनिमल फिल्म ने लगभग दो हफ्ते तक सिनेमाघरों पर राज किया। इस फिल्म को 100 करोड़ रुपये के बजट में बनया गया था और फिल्म ने अब तक दुनिया भर में 917 करोड़ रुपये (लगभग) की कमाई कर ली है।

यह फिल्म 1 दिसंबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी, जिसमें रणबीर कपूर, रश्मिका मंधाना, अनिल कपूर और बॉबी देओल अहम भूमिका में थे। फिल्म का संपादन और निर्देशन संदीप रेड्डी वांगा ने किया है, जिन्होंने पहले कबीर सिंह का भी निर्देशन किया था।

ग़दर 2

बॉलीवुड के लिए एक ब्लॉकबस्टर वर्ष के साथ, गदर 2 सनी देओल के करियर को पुनर्जीवित करने में भी कामयाब रही। गदर 2 सनी देओल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई जिसने दुनिया भर में 691.08 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया।

यह फिल्म 60 करोड़ रुपये के बजट में बनी थी और 600 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी। फिल्म में सनी देओल, अमीषा पटेल, उत्कर्ष शर्मा और मनीष वाधवा अहम भूमिका में हैं। यह फिल्म 11 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।

लियो

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लियो पहली तमिल फिल्म है जिसने 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया है। यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है  जिसमें विजय ने मुख्य भूमिका निभाई है, साथ ही संजय दत्त, अर्जुन सरजा, तृषा, गौतम वासुदेव मेनन, मैसस्किन और मैडोना सेबेस्टियन ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई है। लियो को लगभग 300 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था और इसने दुनिया भर में 620 करोड़ रुपये कमाए। यह फिल्म 18 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।

जेलर

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जेलर एक भारतीय तमिल भाषा की एक्शन कॉमेडी फिल्म है, जो नेल्सन दिलीपकुमार द्वारा निर्देशितऔर सन पिक्चर्स के कलानिधि मारन द्वारा निर्मित है। फिल्म में रजनीकांत मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म 9 अगस्त 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी।

इस फिल्म को 200 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 650 करोड़ रुपये की कमाई की। फिल्म में रजनीकांत के साथ-साथ विनायकन, राम्या कृष्णन, वसंत रवि, तमन्ना भाटिया, सुनील, मिरना मेनन और योगी बाबू भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।

टाइगर 3

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टाइगर 3 वर्ष 2023 की भारतीय हिंदी भाषा की एक्शन थ्रिलर फिल्म है। फिल्म का निर्देशन मनीष शर्मा ने किया है। फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा है। फिल्म 12 नवंबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म में सलमान खान, कैटरीना कैफ और इमरान हाशमी अहम भूमिका में हैं। टाइगर 3 को 300 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था और इसने दुनिया भर में 466.63 करोड़ रुपये की कमाई की है।

सालार: भाग 1

सालार एक तेलुगु भाषा की एक्शन फिल्म है, जो प्रशांत नील द्वारा लिखित और निर्देशित है और विजय किरागांदुर द्वारा निर्मित है। फिल्म में प्रभास के साथ-साथ श्रुति हासन, जगपति बाबू, बॉबी सिम्हा, टीनू आनंद और ईश्वरी राव भी हैं। यह फिल्म 22 दिसंबर, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। सालार फिल्म को 270 करोड़ रुपये के बजट में बनाया गया था और इस फिल्म 715 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमाई की है।

रॉकी और रानी की प्रेम कहानी

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रॉकी और रानी की प्रेम कहानी एक हिंदी भाषा की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म थी जो 28 जुलाई, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। यह फिल्म करण जौहर द्वारा निर्देशित है और इसमें रणवीर सिंह और आलिया भट्ट प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 160 करोड़ रुपये के बजट में बनी थी और इसने दुनिया भर में 355.61 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है।

आदिपुरुष

10वें नंबर पर आती है “आदिपुरुष” जोकि 500 से 700 करोड़ रुपये के बजट में बनी थी। इतनी हाई-बजट फिल्म होने के बावजूद, यह दुनिया भर में केवल 388 करोड़ रुपये ही कमा पाई।

आदिपुरुष हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित 2023 की पौराणिक एक्शन फिल्म थी। फिल्म का निर्देशन ओम राउत ने किया था। फिल्म में प्रभास, सैफ अली खान, कृति सेनन, सनी सिंह और देवदत्त नागे मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म को नियमित रूप से नकारात्मक टिप्पणियाँ मिलीं।