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हिन्दी सिनेमा की 20 सर्वकालीन श्रेष्ठ फ़िल्में

किसी भी देश में बनने वाली फ़िल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण होती हैं। एक सौ वर्षों की लंबी यात्रा में हिन्दी सिनेमा ने ना केवल बेशुमार फ़िल्में दीं, बल्कि भारतीय समाज और चरित्र को गढ़ने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ प्रस्तुत हैं भारतीय सिनेमा की चुनिन्दा 20 फ़िल्में, जिन्हें दर्शकों से भरपूर सराहना मिली।

मुग़ल-ए-आजम (1960)

mughal-e-azam-film“मुग़ल-ए-आज़म” 1960 में प्रदर्शित हुई थी। यह फ़िल्म हिन्दी सिनेमा इतिहास की सफलतम फ़िल्मों में से एक है। इसे के॰ आसिफ़ के शानदार निर्देशन, भव्य सेटों, बेहतरीन संगीत के लिए आज भी याद किया जाता है।

फ़िल्म में अकबर के बेटे शहज़ादा सलीम (दिलीप कुमार) और दरबार की एक कनीज़ नादिरा (मधुबाला) के बीच में प्रेम की कहानी है। फ़िल्म में सलीम और अनारकली में धीरे-धीरे प्यार हो जाता है और अकबर इससे नाखुश होते हैं। ब्रिटिश एशियाई साप्ताहिक समाचार पत्र द्वारा 2013 में किए गए एक सर्वेक्षण में इसे अब तक की सबसे बड़ी बॉलीवुड फ़िल्म चुना गया था।

आनंद (1971)

anand-filmहृषिकेश मुखेर्जी निर्देशित “आनंद” बॉलीवुड की सबसे अधिक पसंद की गयी फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म एक कैंसर पीड़ित रोगी आनंद (राजेश खन्ना) की कहानी है, जो ज़िंदगी को हंस-खेल कर जीना चाहता है, पर उसके पास समय बहुत कम है।

आनंद उन चंद फ़िल्मों में से एक है, जो आज 40 साल बाद भी दिल को छू जाती है। यह फ़िल्म दर्शाती है कि किस तरह एक मरता हुआ आदमी महज प्यार और मज़ाक से पूरी दुनिया को खुशियाँ बाँट सकता है और उनका दिल जीत सकता है।

शोले (1975)

top-20-bollywood-movies-of-all-times-sholay1975 में बनी “शोले” भारत की सर्वकालीन बेहतरीन फ़िल्मों में शामिल है। शोले फ़िल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई थी। इस फ़िल्म ने भारत में लगातार 50 सप्ताह तक प्रदर्शन का कीर्तिमान भी बनाया।

साथ ही यह फ़िल्म भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में ऐसी पहली फ़िल्म बनी, जिसने सौ से भी ज़्यादा सिनेमा घरों में रजत जयंती (25 सप्ताह) मनाई। मुंबई के मिनर्वा सिनेमाघर में इसे लगातार 5 वर्षों तक प्रदर्शित किया गया।

थ्री इडियट्स (2009)

3-Idiotsनिर्देशक राजकुमार हिरानी निर्देशित फ़िल्म “थ्री इडीयट्स” की कहानी चेतन भगत के उपन्यास (Novel) पर आधारित है. फ़िल्म के द्वारा शिक्षा प्रणाली, पैरेंट्‌स का बच्चों पर कुछ बनने का दबाव और किताबी ज्ञान की उपयोगिता पर मनोरंजक तरीके से सवाल उठाए गए हैं। 200 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली यह पहली फ़िल्म थी।

दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)

dilwale-dulhania-le-jayenge-movie-1995डीडीएलजे (DDLJ) के नाम से प्रसिद्ध “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे” 1995 में बनी हिन्दी फ़िल्म है। इसका निर्देशन प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता और निर्देशक यश चोपड़ा के पुत्र आदित्य चोपड़ा ने किया था। यह फ़िल्म मुंबई के मराठा मंदिर में तेरह सालों से भी ज़्यादा समय तक चली। मार्च 2009 में इसने मुंबई के मराठा मंदिर में 700 सप्ताहों तक चलने का रिकॉर्ड बनाया।

पड़ोसन (1968)

padosan-movieइस फ़िल्म में गाँव का एक लड़का अपनी नई पड़ोसन के प्यार में पड़ जाता है। वह अपने संगीत शिक्षक की मदद से अपनी नई पड़ोसन को लुभाने की कोशिश करता है। कॉमेडी सुर संगीत से भरपूर यह एक बहुत मज़ेदार पारिवारिक फ़िल्म है।

तारे जमीन पर (2007)

taare-zameen-parयह फ़िल्म एक छोटे लड़के पर आधारित है, जो पढ़ाई में बहुत आलसी होता है और वह हर साल एक ही क्लास में बार-बार फेल होता रहता है। बाद में उसकी मुलाकात एक शिक्षक से होती है, जो उसकी समस्या को अच्छी तरह से समझकर उसकी छिपी प्रतिभा को सामने लाता है।

जाने भी दो यारो (1983)

jaane-bhi-do-yaaroबॉलीवुड के इतिहास में जब भी सर्वश्रेष्ठ हास्य फ़िल्मों का जिक्र होता है, तो ‘जाने भी दो यारों’ का नाम सबसे पहले लिया जाता है। 1983 में आई कुंदन शाह की इस फ़िल्म का निर्माण नेशनल फ़िल्म डेवलपमेन्ट कोर्पोरेशन ने किया था।

निर्देशक कुंदन शाह की यह फ़िल्म आज भी दर्शकों को हंसने के लिए विवश कर देती है। इस फ़िल्म में नसीरूद्दीन शाह (विनोद) और विवेक बासवानी (सुधीर) ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई है।

पी के (2014)

pk-movieपीके एक कॉमेडी के द्वारा सामाजिक संदेश देने वाली फ़िल्म है। इसका निर्देशन राजकुमार हिरानी ने किया है। यह कहानी एक एलियन (आमिर खान) की है, जो पृथ्वी में आता है और उसका उसके यान को बुलाने वाला रिमोट एक चोर लेकर भाग जाता है। इसके बाद वह धरती पर ही घूमता रहता है।

बर्फी (2012)

barfiबर्फी! 2012 में प्रदर्शित रोमेंटिक हास्य-नाटक हिन्दी फ़िल्म है, जिसके लेखक, निर्देशक व सह-निर्माता अनुराग बसु हैं। 1970 के दशक में घटित फ़िल्म की कहानी दार्जिलिंग के एक गूंगे और बहरे व्यक्ति मर्फी “बर्फी” जॉनसन के जीवन और उसके दो महिलाओं श्रुति और मंदबुद्धि के साथ संबंधों को दर्शाती है।

फ़िल्म में मुख्य भूमिका में रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डी’क्रूज़ हैं तथा सहायक अभिनय करने वाले सौरभ शुक्ला, आशीष विद्यार्थी और रूपा गांगुली हैं।

गोलमाल (1979)

golmaal-hindi-filmअमोल पालेकर और उत्पल दत्त की शानदार जोड़ी आज भी दर्शकों को ज़ोर-2 से हंसने के लिए विवश कर देगी। अमोल पालेकर ने अपनी फ़िल्म गोलमाल में बहुत सफलता प्राप्त की और इस फ़िल्म में आर.डी. बर्मन द्वारा गाया हुआ गाना “आने वाला पल” फ़िल्म को ओर भी मज़ेदार बना देता है। छोटे शब्दों में कहें, तो गोलमाल फ़िल्म अपने समय में बहुत ही शानदार फ़िल्म रही थी।

लगान (2001)

lagaan movies imageफ़िल्म लगान, 2001 में बनी थी। यह फ़िल्म आशुतोष गौरीकर की मूल कथा पर आधारित है। आमीर ख़ान इसके सहनिर्माता होने के अलावा मुख्य अभिनेता भी है। फ़िल्म रानी विक्टोरिया के ब्रिटानी राज की एक सोखा पीडित गांव के किसानों पर कठोर ब्रीटानी लगान की कहानी है।

जब किसान लगान कम करने की मांग करते हैं, तब ब्रिटानी अफ़्सर एक प्रस्ताव देतें है, अगर क्रिकेट के खेल में उनको गांव वासीओं ने पराजित कर दिया, तो लगान मांफ़। चूनौती स्वीकार करने के बाद गांव वासीओं पर क्या बीतती है, यही इस फ़िल्म का चरीत्र है।

मासूम (1983)

masoom-filmमासूम फ़िल्म शेखर कपूर द्वारा निर्देशित हिंदी फ़िल्म है। डी.के. मल्होत्रा अपनी पत्नी इंदु और दो बेटियाँ पिंकी और मिन्नी के साथ रहता है। एक बार डी.के. को फ़ोन आता है और वह एक लड़के राहुल को घर लाता है। इंदु को झटका लगता है, यह जान कर कि राहुल डी.के. कि नाजायज़ औलाद है।

राहुल को महसूस होता है इंदु को उसका घर रहना पसंद नहीं है। डी.के राहुल को बोर्डिंग स्कूल में भेजने का फैसला करता है और वह राहुल को नैनीताल में छोड़ आता है। एक दिन वह वहां से भाग जाता है। यह फ़िल्म बहुत भावुक कर देने वाली है।

स्वदेस (2004)

Swades-2004यह फ़िल्म बॉलीवुड की सबसे अच्छी हिंदी ड्रामा फ़िल्म थी। स्वदेस फ़िल्म को आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म के मुख्य किरदार शाहरुख खान और गायत्री जोशी थे। यह एक प्रेरणादायक फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने एक एन.आर.आई का किरदार निभाया है, जो भारत के एक गाँव में बिजली की समस्या को दूर करता है।

बागवान (2003)

baghban-movies-2003इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी ने बहुत भावनात्मक किरदार अदा किया था। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने एक बैंकर का किरदार अभिनय किया था। इस फ़िल्म में उनके 4 बच्चे होते हैं, जब उनके बच्चे बढ़े हो जाते हैं, तो वह अपने माता पिता से दुर्व्यवहार करने लगते हैं।

अंदाज अपना अपना (1994)

andaz-apna-apnaअंदाज अपना अपना 1994 में बनी भारतीय हिंदी कॉमेडी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म को राजकुमार संतोषी द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म में सलमान खान, आमिर खान, रवीना टंडन, करिश्मा कपूर और परेश रावल ने मुख्य किरदार निभाया था। इस फ़िल्म में आमिर खान और सलमान खान एक अमीर घर की लड़की से शादी करने के लिए तरह- तरह के हंसा देने वाले तरीके अपनाते हैं।

कभी हाँ कभी ना (1994)

kabhi-haan-kabhi-naa-1993यह फ़िल्म शाहरुख खान की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक थी। इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान ने एक सुनील नाम के लड़के का किरदार निभाया है, जो एक एना नाम की लड़की से प्यार करता होता है, लेकिन ऐना किसी ओर लड़के से प्यार करती होती है और वह शाहरुख खान को सिर्फ अपना दोस्त मानती होती है। यह फ़िल्म शुरू से लेकर अंत तक रोमांचित है।

ओ माई गॉड (2012)

omg-filmओ माई गॉड फ़िल्म एक व्यंग्यपूर्ण हिंदी फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में परेश रावल ने मुख्य किरदार निभाया है, उन्होंने कांजी नाम के व्यक्ति का किरदार निभाया है। इस फ़िल्म में कांजी की दूकान भूकंप की वजह से पूरी तरह नष्ट हो जाती है, जिससे दुखी होकर वह अदालत में भगवान के खिलाफ केस दर्ज करा देता है। यह फ़िल्म धर्म के नाम से होने वाले अंधविश्वासों के ऊपर से पर्दा हटाती है और लोगों को प्रेरणा देती है।

मिस्टर इंडिया (1987)

mr-india_1987मिस्टर इंडिया फ़िल्म को शेखर कपूर द्वारा निर्देशित किया गया था। इस फ़िल्म के मुख्य किरदार अनिल कपूर, श्रीदेवी, अमरीश पूरी थे। अनिल कपूर ने इस फ़िल्म में एक गायब होने वाले व्यक्ति का किरदार निभाया था, जो एक घड़ी पहनने से अपनी इच्छा के अनुसार गायब हो जाता है। यह फ़िल्म हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में से एक थी।

चक दे इंडिया (2007)

chak-de-indiaचक दे इंडिया” फ़िल्म शिमित अमिन द्वारा निर्देशित की गयी थी। इस फ़िल्म में शाहरुख खान ने इंडिया वीमेन हॉकी टीम के कोच का किरदार निभाया है। इस फ़िल्म की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। शाहरुख़ खान, जिनका इस फ़िल्म में नाम कबीर खान होता है। वह टीम को इस तरह से ट्रेन करता है, जिससे इंडियन वीमेन हॉकी की टीम विश्व कप जीत जाती है।

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