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जानिए प्रेरणादायक और विप्रो कंपनी के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के बारे में

आज हम आपको महान इंसान विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं। अजीम प्रेमजी दुनिया के बड़े बिज़नेस मैन होने के साथ एक अच्छे व्यक्ति भी हैं। इनको सबसे बड़े दान दाता के नाम से भी जाना जाता है। इनकी मेहनत के कारण ही विप्रो का नाम आज पूरी दुनिया में चमक रहा है। जानिए इनके बारे में और भी कई बातें।

प्रारंभिक जीवन

अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के एक निज़ारी इस्माइली शिया मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके पूर्वज मुख्यतः कछ (गुजरात) के निवासी थे। उनके पिता एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे और ‘राइस किंग ऑफ़ बर्मा’ के नाम से जाने जाते थे। भारत और पाकिस्तान बंटवारा के बाद मोहम्मद अली जिन्नाह ने उनके पिता को पाकिस्तान आने का न्योता दिया था पर उन्होंने उसे ठुकरा कर भारत में ही रहने का फैसला किया था।

वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड की स्थापना

सन 1945 में अजीम प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी ने महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में ‘वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ की स्थापना की थी। यह कंपनी ‘सनफ्लावर वनस्पति’ और कपड़े धोने के साबुन ’787’ का निर्माण करती थी।

पिता का देहांत

उनके पिता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए प्रेमजी को अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय भेजा पर दुर्भाग्यवश इसी बीच उनके पिता की मौत हो गयी थी और अजीम प्रेमजी को इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत वापस आना पड़ा था। उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी।

विप्रो को पहुंचाया सफलता पर

आपको बता दें कि इसके बाद भी वह उन्होंने साहस नहीं छोड़ा, बलकि जमकर मेहनत की और विप्रो को एक नए मुकाम पर पहुंचाया। आज विप्रो एक बहु व्यवसायी (Multi Business) तथा बहु स्थानीय (Multi National) कंपनी बन गयी हैं। इसका व्यसाय उपभोक्ता उत्पादों, अधोसरंचना यांत्रिकी से विशिष्ट सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों और सेवाओं तक फैला हैं।

एशिया वीक मैगज़ीन के अनुसार प्रेमजी का नाम दुनिया के 20 प्रभावशाली लोगों में शामिल हैं, और टाइम मैग्जीन ने भी उन्हें कई बार दुनिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों में शामिल किया हैं। आज विप्रो दुनिया की टॉप सौ सॉफ्टवेयर आईटी कंपनियों में शामिल हैं।

दान देने में हमेशा आगे

प्रेमजी दान देने के मामले में हमेशा आगे रहते हैं। वह अब भारत में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय खोलने में लगे हुए हैं। वह आपको ये जानकर गर्व होगा कि उन्होंने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए आठ हजार करोड़ रुपये से भी अधिक दान दिया हैं।

निजी जीवन

अजीम प्रेमजी का विवाह यास्मीन के साथ हुआ और दंपत्ति के दो पुत्र हैं – रिषद और तारिक। रिषद वर्तमान में विप्रो के आई.टी. बिज़नेस के ‘मुख्य रणनीति अधिकारी’ हैं।

जीवन घटनाक्रम

1945: 24 जुलाई को अजीम रेमजी का जन्म मुंबई में हुआ था ।

1966: अपने पिता की मृत्यु के बाद अमेरिका से पढ़ाई छोड़ भारत वापस आ गए थे।

1977: कंपनी का नाम बदलकर ‘विप्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ कर दिया गया था।

1980: विप्रो का आई.टी. क्षेत्र में प्रवेश हुआ था।

1982: कंपनी का नाम ‘विप्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड’ से बदलकर ‘विप्रो लिमिटेड’ कर दिया गया था।

1999-2005: सबसे धनी भारतीय रहे।

2001: उन्होंने ‘अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ की स्थापना की थी।

2004: टाइम मैगज़ीन द्वारा दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में उनको शामिल किया था।

पुरस्कार और सम्मान

बिजनेस वीक द्वारा प्रेमजी को महानतम उद्यमियों में से एक कहा गया है।
सन 2000 में मणिपाल अकादमी ने उनको डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
सन 2005 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
2006 में ‘राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान, मुंबई, द्वारा उनको लक्ष्य बिज़नेस विजनरी से सम्मानित किया गया था।
2009 में उनको कनेक्टिकट स्थित मिडलटाउन के वेस्लेयान विश्वविद्यलाय द्वारा उनके उत्कृष्ट लोकोपकारी कार्यों के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
सन 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था।
सन 2013 में उनको ‘इकनोमिक टाइम्स अचीवमेंट अवार्ड’ दिया गया था।
सन 2015 में मैसोर विश्वविद्यालय ने उनको डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

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